रांची: झारखंड के पश्चिम सिंहभूम के टोंटो थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दुरुला गांव में आदिवासी से धर्मांतरण कर ईसाई धर्म अपनाना एक परिवार को भारी पड़ गया. धर्म बदलकर ईसाई बने परिवार में एक शख्स की मौत के बाद आदिवासी समाज ने शव को आदिवासी 'हो समाज' के कब्रिस्तान ससन दीरी में दफन करने नहीं दिया. आखिरकार ईसाई धर्म अपनाने वाले परिवार को अपने घर के आंगन में ही शव को दफन करना पड़ा.
घटना आज मंगलवार की बताई जा रही है, जब एक व्यक्ति की मौत के बाद शव को दफनाने की मशक्कत में मामला इतना तूल पकड़ा कि आखिरकार पुलिस को दखल देना पड़ा, तब कहीं जाकर 40 घंटे के लंबे अंतराल के बाद शव को घर के आंगन में दफनाया जा सका. दुरुला गांव में 'हो समुदाय' के लोगों ने अपने ससन दिरी, कब्रिस्तान में ईसाई परिवार को शव दफनाने देने से मना कर दिया. 'हो समुदाय' का कहना था कि धर्मांतरण करने वाले परिवार के शव को वंशजानुसार ससन दिरी कब्रिस्तान में दफन करने नहीं दिया जाएगा.
दरअसल, शव दफनाने के लिए ईसाई परिवार ने जैसे ही ससन दीरी कब्रिस्तान में खुदाई आरंभ की, दूसरे पक्ष की तरफ से विरोध शुरू हो गया. ग्रामीणों ने आदिवासी 'हो समाज' युवा महासभा के लोगों को सूचित किया. इस विवाद के समाधान के लिए गांव में बैठक करने पर सहमति बनी. बैठक में 'हो समुदाय' के ससन दिरी (कब्रिस्तान) स्थल में शव को नहीं दफनाने देने का निर्णय लिया गया. फिर भी मामला शांत नहीं हुआ. पुलिस के बीच बचाव के बाद परिवार वालों ने शव को घर के आंगन में दफनाने का फैसला लिया.
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