लखनऊ। सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या के विवादित श्री राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर कहा है कि संबंधित मामले से जुड़े पक्ष अपनी सहमति से हल निकालने का प्रयास करें। न्यायालय ने कहा कि यदि सभी पक्षों की सहमति होने पर मध्यस्थता के लिए न्यायाधीश नियुक्त किया जा सकेगा। जफरयाब जिलानी जो कि बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक है उनका कहना है कि चर्चा से इस मसले का हल नहीं निकल सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और मुख्य न्यायाधीश पर उन्हें विश्वास है। मगर कुछ भी करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय को आदेश पारित करना होगा। उनका कहना था कि इस मसले पर तत्कालीन शंकराचार्य कांचि कामकोटि पीठ ने आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी के साथ चर्चा की थी लेकिन कुछ नतीजा नहीं निकला।
31 वर्षों का अनुभव बता रहा है कि आखिर इस मामले में चर्चा बेनतीजा रही है। जफरयाब जिलानी ने कहा कि इतने वर्षों में चर्चा से मसला हल नहीं हुआ वे न्यायालय के माध्यम से मामले को सुलझाने के पक्ष में थे। जिलानी का कहना था कि वर्ष 992 में मस्जिद प्रभावित हुई। इसके पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने वर्ष 1990 में चर्चा को असफल कर दिया। राज्य के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव व भैरोसिंह शेखावत के सहयोग से भी चर्चा की गई। मगर नतीजा नहीं निकला।
रामजेठमलानी और केंद्रीय मंत्री जेटली के बीच हुई जिरह