नईदिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के देश के शीर्ष विश्विद्यालय के तौर पर महामहिम राष्ट्रपति ने इसलिए सम्मानित नहीं किया क्योंकि यहां पर अफजल गुरू के समर्थन में नारे लगाए जाते हैं और कुलपति को एक दिन के लिए बंधक बनाया जाता है बल्कि यह सम्मान अच्छे अनुसंधान के लिए दिया गया था। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सदन में कहा कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान दूसरे संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान जानकारी देते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों में खाली पदों की जानकारी विश्वविद्यालयों की वेबसाईट के ही साथ यूजीसी व एआईसीटीई की वेबसाईट पर 24 घंटे स्क्रीन पर दशाई जाएगी।
इतना ही नहीं कोशिश यह होगी कि युवा वाॅक इन इंटरव्यू दे सकें। उन्होंने कहा कि जेएनयू में 100 से अधिक पद जो कि एससी एसटी के हैं और 25 दिव्यांग प्रोफेसर्स के हैं, वर्षों से भरे नहीं गए हैं वे भरे जाऐंगे। इन पदों पर प्रोफेसर्स ज्वाॅईन करेंगे।
केंद्रीय मंत्री से कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सवाल किए और कहा कि केवल जेएनयू का ही नाम क्यों लिया गया है। ऐसे में उन्होंने कहा कि जेएनयू को कुछ समय पहले ही राष्ट्रपति ने शीर्ष पुरस्कार प्रदान किया है वह किसी नारेबाजी या कुलपति को बंधन बनाने के लिए नहीं दिया गया था।
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