देश में हुई कई विवादित घटनाओं पर बॉलीवुड में फिल्में बन चुकी हैं। फिल्मनिर्माताओं के विवादित टॉपिक को उठाकर फिल्में बनाने का ट्रेंड हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर होता जा रहा है। 'हमारे बारह' के पश्चात अब एक और विवादित फिल्म सिनेमाघरों में दस्तक देने के लिए तैयार है। इसका नाम है- 'जेएनयू: जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी'।
फिल्म का नाम सुनकर यदि आपको दिल्ली की किसी फेमस यूनिवर्सिटी का नाम याद आ रहा है, तो आप सही हैं। इसमें उसी की बात हो रही है। फिल्म का ट्रेलर हाल ही में रिलीज हुआ है तथा इसे देखकर आपके होश उड़ने वाले हैं। ट्रेलर में 'JNU' में होने वाली राजनीति, लड़ाई, विचारों के मतभेद से लेकर दंगों तक को देखा जा सकता है। बस यहां पढ़ाई नहीं हो रही है। फिल्म के ट्रेलर में आप 'किसना कुमार' को देखेंगे। किसना के सामने एक जुनूनी उम्मीदवार है, जो 'झूठ को सच के तराजू में तोलने' जैसी बात करता है। स्क्रीन पर आपको लिखकर बताया जाता है कि कहानी भारत की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के बारे में है, जहां राजनीति लाइमलाइट में रहती है। इस यूनिवर्सिटी में मार्क्सवादी क्रांतिकारी चे ग्वेरा के पोस्टर लगे हैं। दीवारों पर 'लाल सलाम' लिखा है। आरक्षण वाले विद्यार्थियों की कक्षा में जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट को टीचर डपटकर भगाता दिखाई दे रहा है।
किसना कुमार ने बताया कि 'जेएनयू' देश की बात करता है, जो तुम जैसे लोग नहीं समझते। कैम्पस में दंगे होने पर पुलिस आती है। पुलिस को अंदर नहीं घुसने दिया जाता तो यूनिवर्सिटी की तुलना पाकिस्तान से करके चली जाती है। वहीं किसना कुमार, पुलिस के हत्थे लगने पर खुश होता है। उसका कहना है कि जो लोग 30 वर्षों में नहीं कर पाए, उसने तीन वर्षों में कर दिखाया है। अब यूनिवर्सिटी से वो सीधा संसद पहुंचेगा। फिल्म दो गुटों के पैशन, पावर एवं सिद्धांतों की लड़ाई पर है। मगर क्या ये तीनों चीजें देश की एकता को तोड़ सकती हैं?
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