पटना: शुक्रवार (1 मार्च) को कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार तब विवादों में आ गए, जब उन्होंने घातक एच1एन1 फ्लू को भारतीय युवाओं द्वारा दूसरे देशों में प्रवास के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वीजा श्रेणी बता दिया। उन्होंने यह टिप्पणी उन 20 भारतीयों की दुर्दशा के बारे में बोलते हुए की, जो रूसी सेना के सहायक स्टाफ के रूप में काम करते हैं और अभी भी पूर्वी यूरोपीय राष्ट्र में फंसे हुए हैं।
कन्हैया कुमार ने दावा किया, ''सरकार को उन युवाओं के साथ होने वाली किसी भी दुर्घटना की जिम्मेदारी लेनी चाहिए जो यहां की परिस्थितियों के कारण भारत छोड़ने को मजबूर हैं।'' कांग्रेस नेता ने कहा कि, सरकार को बताना चाहिए कि ये भारतीय विदेश में कैसे बस गये. क्या वे छात्र वीज़ा, कार्य वीज़ा, पर्यटक वीज़ा पर गए थे? वीज़ा श्रेणी क्या है? क्या यह H1N1 है? सरकार हमें केवल यह बता सकती है।''
Most educated Congress leader Kanhaiya Kumar, who stayed in JNU for 8 years says ‘H1N1 Visa’
— The Random Guy (@RandomTheGuy_) March 2, 2024
H1N1 is name for a Influenza virus. ????????pic.twitter.com/VnsGJxEG5E
हालाँकि, अफ़्रीकी स्टडी में JNU से पीएचडी करने वाले कन्हैया कुमार यह भूल गए कि H1N1 कोई वीज़ा श्रेणी नहीं है, बल्कि स्वाइन फ़्लू वायरस है। मेयो क्लिनिक के अनुसार, H1N1 वायरस 2009-2010 के फ्लू प्रकोप के दौरान अस्तित्व में आया था। यह मूलतः एक इन्फ्लूएंजा वायरस है जो मनुष्यों, पक्षियों और सूअरों को संक्रमित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा 2009 में एच1एन1 फ्लू को महामारी घोषित किया गया था और इससे 2.84 लाख लोगों की जान चली गई थी।
स्वाइन फ्लू वायरस अब मौसमी फ्लू के लिए जिम्मेदार उपभेदों में से एक है। ऐसे में यह आश्चर्य की बात है कि 2011 में जेएनयू के सेंटर फॉर अफ्रीकन स्टडीज में दाखिला लेने वाले कन्हैया कुमार को यह नहीं पता था कि H1N1 एक वीजा श्रेणी नहीं बल्कि एक वायरस है।
यहां तक कि अगर हम कन्हैया कुमार को संदेह का लाभ देते हैं और मानते हैं कि उनका आशय एच1बी वीजा से था, तो भी यह प्रेस कॉन्फ्रेंस में केवल संयुक्त राज्य अमेरिका के संदर्भ में लागू होता है, न कि रूस (जो चर्चा का विषय था) के संदर्भ में।
यही नहीं, इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कन्हैया कुमार यह भी दावा करते नजर आए कि किस तरह बिहार के लोग रोजगार की तलाश में अन्यत्र जाने को मजबूर हैं। कांग्रेस नेता ने बिहार में हनीमून के लिए अच्छे स्थलों की कमी पर भी अफसोस जताया और कहा कि उनके मूल राज्य के निवासियों को इस प्रकार कहीं और यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
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