जोधपुर: आज 12 मई को जोधपुर अपना 564वां स्थापना दिवस मना रहा है। राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर, जोधपुर अपने अंदर कई ऐतिसाहिक युद्ध और शौर्य गाथाओं को समेटे हुए है, जिसकी स्थापना राव जोधा ने 12 मई 1459 में की थी। सूर्य की तेज और सीधी किरणें जोधपुर की धरती पर पड़ने से सूर्य नगरी के नाम से विख्यात इस शहर के स्थापना दिवस के मौके पर राजस्थान की जानी-मानी हस्तियां नगरवासियों को देश के अपने माइक्रो-ब्लॉगिंग मंच, कू ऐप के माध्यम से बधाई दे रही हैं।
इसी बीच, राजस्थान टूरिज़्म ने अपने आधिकारिक कू हैंडल के माध्यम से जोधपुर के स्थापना दिवस की जानकारी देते हुए कहा है: जोधपुर, जिसे राजस्थान की सन सिटी भी कहा जाता है, आज अपना 564वां स्थापना दिवस मना रहा है।
जोधपुर से सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत यहां की इंद्रधनुषीय छटा का विस्तृत विवरण देते और जोधाणा की माँ से माटी को माथे पर लगाते हुए कहते हैं:
पूज्य राव जोधा जी ने आज ही के दिन जोधपुर को देश और दुनिया के नक्शे में एक अपूर्व और अटल पहचान के साथ स्थापित किया था। ये सूर्य नगरी भी है, ये नीली नगरी भी है, यहां के हर कोने में इंद्रधनुषीय छटा है।ये मेरे मन की नगरी है, मेरे कर्म की नगरी है, मेरे धर्म की नगरी है। मैं जोधाणा की मां सी माटी को माथे पर लगाकर यहां के हरेक भाई - बहन को स्थापना दिवस की हृदय से बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।
17वीं लोकसभा के अध्यक्ष, ओम बिरला ने कू मंच के मल्टी-लिंगुअल फीचर का उपयोग करते हुए राजस्थानी भाषा में नगरवासियों को शुभकामनाएँ दी हैं:
सूर्यनगरी जोधपुर के स्थापना दिवस की आप सभी को ढेरों शुभकामनाएँ।
शेरगढ़, जिला जोधपुर से राजस्थान विधानसभा की सदस्य, मीना कंवर जोधपुरवासियों को बधाई देते हुए कहती हैं:समृद्ध इतिहास, साहस, शौर्य की धरती, अपणायत से भरे जोधपुर के स्थापना दिवस की सभी जोधपुरवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।
16वीं शताब्दी का मुख्य व्यापार केन्द्र, किलों का शहर जोधपुर, राजस्थान का दूसरा विशालतम शहर है। पूरे शहर में बिखरे वैभवशाली महल, किले और मंदिर, एक तरफ जहाँ ऐतिहासिक गौरव को जीवंत करते हैं, वहीं दूसरी ओर यहाँ की उत्कृष्ट हस्तकलाएँ, लोक नृत्य, संगीत और प्रफुल्ल लोग शहर में रंगीन समां बाँध देते हैं।
जोधपुर ऐतिहासिक रजवाड़े की राजधानी भी हुआ करता था। थार के रेगिस्तान के बीच में शानदार महलों, दुर्गों और अन्य पर्यटन स्थलों के लिए जोधपुर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इसके अलावा जोधपुर की विशेष पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे छितर के पत्थरों से होती है। जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग के चारों तरफ बने हजारों नीले मकानों के कारण जोधपुर को नीली नगरी भी कहा जाता है।
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