Mar 03 2018 02:54 PM
1. मैं इक फकीर के होंठों की मुस्कुराहट हूँ,
किसी से भी मेरी कीमत अदा नहीं होती.
2. बेजुबाँ जानवर भी हक़ अदा कर देते हैं नमक का,
एक न जाने इंसान ही क्यों इतना खुदगर्ज़ निकला.
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