काबुल: अफगानिस्तान में तालिबानी राज आने के बाद से वहाँ के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। 10 माह बाद भी वहाँ लोगों को गरीबी, बेरोजगारी और भुखमरी से जूझना पड़ रहा है। लाखों अफगानियों को दो वक्त की रोटी मिलना भी मुश्किल हो रहा है। लोग डर के साये में जीने के लिए मजबूर हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही कुछ तस्वीरें इसकी भयावह बानगी पेश करती हैं। यह तस्वीरें अफगानिस्तान के एक पत्रकार की हैं, जो तालिबानी राज में अब अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए सड़क पर बैठकर कुछ बेच रहे हैं। उनकी हालिया तस्वीरों को देखकर समझा जा सकता है कि वह अपने ही देश में किस प्रकार बद से बदतर जिंदगी जीने के लिए विवश हैं।
Journalists life in #Afghanistan under the #Taliban. Musa Mohammadi worked for years as anchor & reporter in different TV channels, now has no income to fed his family. & sells street food to earn some money. #Afghans suffer unprecedented poverty after the fall of republic. pic.twitter.com/nCTTIbfZN3
— Kabir Haqmal (@Haqmal) June 15, 2022
बता दें कि, इस पत्रकार का नाम मूसा मोहम्मदी (Musa Mohammadi) है। उन्होंने अफगानिस्तान के कई टीवी चैनलों में एंकर और बतौर रिपोर्टर कई सालों तक काम किया है, लेकिन तालिबानी शासन में वह बेरोजगार हैं। उनके पास अपने परिवार को दो वक्त की रोटी खिलाने के लिए भी कोई जरिया नहीं बचा है। इसलिए वह अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए स्ट्रीट फूड बेचकर दिन गुजार रहे हैं। गौरतलब है कि तालिबान ने 15 अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता हथियाने के बाद पुरुषों और महिलाओं पर कई पाबंदियां लगा दी हैं। महिलाओं को शिक्षा से वंचित करने के बाद तालिबान ने इस साल मार्च में अफगानी पुरुषों के लिए नया आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि जो सरकारी कर्मचारी दाढ़ी नहीं रखेगा, उसे नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं इस्लामी संगठन तालिबान ने लड़कियों के स्कूल जाने पर भी रोक लगा दी थी।
बता दें कि तालिबान, अफगानिस्तान में अपने 1996 से 2001 के शासन में मानवाधिकारों की धज्जियाँ उड़ाने के लिए कुख्यात है, मगर दूसरी बार सत्ता में आने के बाद उसने वादा किया था कि वह बदल गया है और कट्टरपंथी सोच नहीं अपनाएगा। हालाँकि, इसके बाद भी कट्टरपंथी विचारधारा वाले तालिबान द्वारा ऐसे फरमान जारी किए जा रहे हैं, जिससे अफगान के नागरिक बद से बदतर जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं।
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