इस्लामाबाद: पाकिस्तान में आज़ाद सिंधुदेश की मांग को लेकर सिंधु समुदाय के हजारों लोगों ने कराची की सड़कों पर उतारकर प्रदर्शन किया। इन लोगों के पक्ष में आवाज बुलंद करने वाले नेताओं के खिलाफ पाकिस्तान सरकार ने सोमवार (18 नवंबर) को कई आरोपों में केस दर्ज कराएं हैं। देशभर से अपनी मांग के समर्थन में इकठ्ठा हुए सिंधी नागरिकों ने रविवार और सोमवार को कराची में गुलशन-ए-हदीद से प्रेस क्लब तक मार्च निकाला।
उनके हाथों में सिंधुदेश के प्रतीक लाल झंडे लिए हजारों लोगों ने आज़ाद देश के समर्थन में नारे लगाए। जय सिंध कौमी महाज (JSQM) ने इस मार्च का आयोजन किया था। JSQM के प्रमुख सुनान कुरैशी और अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने इस मौके पर इकठ्ठा हुए लोगों को संबोधित भी किया। उन्होंने सिंधी भाषा और संस्कृति पर मंडरा रहे खतरे को अपनी मांगों का प्रमुख कारण बताया। सिंधु समुदाय के समर्थन में आवाज उठाने वाले नेताओं पर इमरान सरकार आपत्तिजनक नारेबाजी, विद्रोह, आतंकवाद और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं के तहत केस दर्ज कर रही है।
वहीं, सिंधी समुदाय का कहना है कि सिंध अपने आप में अलग देश है, किन्तु पाकिस्तान ने उस पर जबरदस्ती कब्जा जमा रखा है। पाकिस्तान से आज़ाद सिंधुदेश बनाने की मांग पहली बार साल 1972 में सिंधी नेता जीएम सईद ने उठाई थी। साल 1995 में जीएम सईद के देहांत के बाद सिंधुदेश के आंदोलन को आगे भी जारी रखने के इरादे से एक अलग पार्टी जय सिंध कौमी महाज (JSQM) का गठन किया गया।
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