बस कुछ घंटों का और इंतजार... फिर मिल जाएगा मध्य प्रदेश को अपना 'नया मुख्यमंत्री', जानिए शिवराज सिंह पर क्या है विश्लेषकों की राय?

बस कुछ घंटों का और इंतजार... फिर मिल जाएगा मध्य प्रदेश को अपना 'नया मुख्यमंत्री', जानिए शिवराज सिंह पर क्या है विश्लेषकों की राय?
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भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणामों के ऐलान के 7 दिनों के पश्चात् भारतीय जनता पार्टी आज मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा कर सकती है। ऐसा इसलिए कि आज मध्य प्रदेश में विधायक दल की बैठक होने जा रही है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान से मुख्यमंत्री आवास पर मुलाकात की है तत्पश्चात, अटकलों का बाजार गर्म है। 

इधर मध्य प्रदेश में बंपर जीत दर्ज करने वाली भारतीय जनता पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री के नाम पर विचार-विमर्श जारी है। बता दें कि मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की रेस में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही कई अन्य चेहरे हैं जो मुख्यमंत्री की रेस में सम्मिलित हैं। इनमें प्रह्वाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीडी शर्मा, कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर के नाम भी सामने आ रहे हैं। हालांकि यह पार्टी आलाकमान की तरफ से तय किया जाएगा कि मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन बनेगा। इसकी घोषणा आज हो सकती है, कहा जा रहा है की आज मध्य प्रदेश में विधायक दल की बैठक होगी और उसमें ही नाम फाइनल हो जाएगा। 

कैलाश विजयवर्गीय पर क्या है विश्लेषकों की राय?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, कैलाश विजयवर्गीय मुख्यमंत्री पद के लिए उतने ताकतवर नहीं हैं, क्योंकि वे बनेंगे तो शिवराज सिंह उनका विरोध कर सकते हैं। आम एक्सेप्टेबिलिटी नहीं हैं। उनकी छवि माफिया की है, उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय के पुराने मामले की वजह से स्वयं प्रधानमंत्री मोदी कैलाश विजयवर्गीय से खफा रहे हैं। ऐसे में उनका नाम पुरजोर तरीके से मुख्यमंत्री पद के लिए नहीं हो सकता। 

सिंधिया पर क्या है राय?
राजनीतिक विश्लेषकों ने सिंधिया को भी नकार दिया है। क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कई समर्थक उम्मीदवार चुनाव हार गए। वे केंद्र की राजनीति में ही स्वयं को महफूज मानते हैं। सिंधिया को लेकर भाजपा में भी अंतरविरोध है। इस वजह से उन पर एकराय नहीं बन सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, नरेंद्र तोमर को भी जीत का श्रेय देना चाहिए क्योंकि उन्हें चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया। इसलिए प्रचंड जीत मिल रही है। इसलिए उनका नाम भी मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे टॉप में हो सकता है। भाजपा को 135 सीट से अधिक जीत के आसार नहीं दिखाई दे रहे थे। 150 प्लस होंगे, ये उन्होंने भी नहीं सोचा था। लेकिन भाजपा को बंपर जीत मिली। इसका श्रेय नरेंद्र तोमर को भी दिया जा रहा है।

शिवराज सिंह चौहान पर भी फिर दांव, जानिए क्यों हैं वे मजबूत प्रतियोगी?
इस बार भले ही उनके नाम पर चुनाव नहीं लड़ा गया, किन्तु शिवराज सिंह भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं। उन्हीं के चुनाव प्रचार और उन्हीं की लाड़ली बहना योजना को लेकर चुनाव लड़ा गया। बड़ी बात यह है कि उन्हीं के शासनकाल में बीजेपी जीती है। ऐसे में उन्हें फिर मुख्यमंत्री बनाया जाए, तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।

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