नई दिल्ली: देश पर सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली पार्टी कांग्रेस ने राष्ट्रीय मानवाधिकार परिषद (NHRC) के अध्यक्ष की नियुक्ति पर आपत्ति जताई है और कहा है कि समिति द्वारा अपनाई गई चयन प्रक्रिया में बुनियादी रूप से खामियां हैं। उल्लेखनीय है कि, NHRC के अध्यक्ष और सदस्यों के चयन के लिए चयन समिति की बैठक 18 दिसंबर को हुई। बैठक में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हुए।
रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस ने अपने असहमति नोट में समिति के साथ अपनी असहमति के कई कारण बताए। पार्टी ने कहा कि, "सबसे पहले, समिति द्वारा अपनाई गई चयन प्रक्रिया में बुनियादी तौर पर खामियां थीं। यह एक पूर्व-निर्धारित अभ्यास था, जिसमें आपसी परामर्श और आम सहमति की स्थापित परंपरा को नजरअंदाज किया गया, जो ऐसे मामलों में आवश्यक है। यह विचलन निष्पक्षता और निष्पक्षता के सिद्धांतों को कमजोर करता है, जो चयन समिति की विश्वसनीयता के लिए महत्वपूर्ण हैं। विचार-विमर्श को बढ़ावा देने और सामूहिक निर्णय सुनिश्चित करने के बजाय, समिति ने नामों को अंतिम रूप देने के लिए अपने संख्यात्मक बहुमत पर भरोसा किया, बैठक के दौरान उठाए गए वैध चिंताओं और दृष्टिकोणों की अनदेखी की।"
कांग्रेस ने ये भी कहा कि NHRC एक महत्वपूर्ण वैधानिक निकाय है, जिसका काम सभी नागरिकों, विशेष रूप से समाज के उत्पीड़ित और हाशिए पर पड़े वर्गों के मौलिक मानवाधिकारों की रक्षा करना है। पार्टी ने अपने नोट में कहा कि, "हमने योग्यता और समावेशिता की आवश्यकता दोनों को ध्यान में रखते हुए अध्यक्ष पद के लिए न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति कुट्टीयिल मैथ्यू जोसेफ के नामों का प्रस्ताव रखा। अल्पसंख्यक पारसी समुदाय के एक प्रतिष्ठित न्यायविद न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन अपनी बौद्धिक गहराई और संवैधानिक मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका शामिल होना भारत के बहुलवादी समाज का प्रतिनिधित्व करने के लिए NHRC के समर्पण के बारे में एक मजबूत संदेश भेजेगा। इसी तरह, अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुट्टीयिल मैथ्यू जोसेफ ने लगातार ऐसे फैसले दिए हैं जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता और हाशिए पर पड़े समूहों की सुरक्षा पर जोर देते हैं, जो उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए एक आदर्श उम्मीदवार बनाता है।"
बता दें कि, कांग्रेस ने जिन जस्टिस नरीमन को NHRC अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया है, ये वहीँ हैं, जिन्होंने कुछ दिन पहले अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए हिन्दुओं को अत्याचारी और तानाशाह कहा था। जस्टिस नरीमन ने कहा था कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला गलत था और वो जगह बाबरी मस्जिद की थी। उनके इस बयान पर जमकर बवाल मचा था, अब कांग्रेस ने उन जस्टिस का समर्थन करते हुए उन्हें मानवाधिकार अध्यक्ष बनाने की मांग की है।