न्यायपालिका को 'सुधार नहीं एक क्रांति' की जरूरत-रंजन गोगोई

न्यायपालिका को 'सुधार नहीं एक क्रांति' की जरूरत-रंजन गोगोई
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दिल्ली: न्यायपालिका को आम आदमी की सेवा के योग्य बनाये जाने और 'सुधार नहीं एक क्रांति' की जरूरत पर जोर देते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कहा कि है. न्यायमूर्ति गोगोई ने साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि न्यायपालिका को और अधिक सक्रिय रहना होगा. वरिष्ठ जज ने अपने विचार दिल्‍ली के तीन मूर्ति भवन के प्रेक्षागृह में 'न्याय की दृष्टि' विषय पर तीसरा रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान में अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका 'उम्मीद की आखिरी किरण' है और वह 'महान संवैधानिक दृष्टि का गर्व करने वाला संरक्षक' है. इस पर समाज का काफी विश्वास है.

उन्होंने समाचार पत्र 'इंडियन एक्सप्रेस' में 'हाउ डेमोक्रेसी डाइज' शीर्षक से प्रकाशित एक लेख का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘...स्वतंत्र न्यायाधीश और मुखर पत्रकार लोकतंत्र की रक्षा करने वाली अग्रिम पंक्ति हैं...’

उन्होंने न्याय प्रदान करने की धीमी प्रक्रिया पर चिंता जताई और कहा कि यह ऐतिहासिक चुनौती रही है. गौरतलब है कि न्यायपालिका में कमी, गलतियां, सुधार और सरकार के हस्तक्षेप को लेकर इन दिनों कई तरह की बातें की जा रही है साथ ही अभी कुछ समय पहले ही सुप्रीम कोर्ट के जजो ने एक साँझा प्रेस वार्ता कर न्यायपालिका के क्रियाकलापों पर सार्वजनिक तौर पर पश्न दागे थे.  

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