नई दिल्ली: भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एन वी रमणा ने अगले CJI के लिए न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित (U U Lalit) के नाम की सिफारिश की है। इस संबंध में CJI रमणा ने कानून और न्याय मंत्री को सिफारिशी पत्र भी दे दिया है। यदि, न्यायमूर्ति यूयू ललित के नाम पर मुहर लग जाती है, तो वे देश के 49वें CJI बन जाएंगे। बता दें कि CJI एनवी रमणा 26 अगस्त को रिटायर होने वाले हैं। इससे पहले कानून मंत्री किरन रिजिजू ने CJI एन वी रमणा को पत्र लिखते हुए उनसे अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करने का आग्रह किया था। रिजिजू का 3 अगस्त को लिखा पत्र देर शाम CJI ऑफिस को मिला था।
परंपरा के अनुसार, अपनी सेवानिवृत्ति से लगभग एक महीना पहले CJI बंद लिफाफे में अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश कानून और न्याय मंत्रालय के माध्यम से राष्ट्रपति तक पहुंचाते हैं। आमतौर पर सर्वोच्च न्यायालया में वरिष्ठतम न्यायाधीश यानी वरिष्ठता क्रम में नंबर दो का नाम ही लिफाफे में होता है। पारंपरिक तौर पर शीर्ष अदालत के न्यायाधीश अपनी वरिष्ठता के आधार पर CJI के रूप में कार्यभार संभालते हैं। CJI के तौर पर कोई कार्यकाल तय नहीं है। शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु संविधान के तहत 65 वर्ष तय की गई है।
इस बीच सर्वोच्च न्यायालय में कई दशकों के बाद ऐसा मौका आने वाला है, जब देश चार महीनों के भीतर 3 प्रधान न्यायाधीश देखेगा। इसी साल बीत चुके जुलाई से आने वाले नवंबर के दौरान CJI एनवी रमणा के साथ ही न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भी CJI बनने वाले हैं। इस दिलचस्प संयोग के पांच वर्षों के बाद 2027 में भी देश ऐसे ही संयोग का गवाह होगा। साल 2027 में सितंबर से अक्टूबर के बीच दो महीनों में तीन CJI आएंगे और जाएंगे।
2027 में भी बनेगा ऐसा संयोग:-
सर्वोच्च न्यायालय के रिकॉर्ड, परंपरा और प्रैक्टिस के अनुसार, 2027 में 27 सितंबर को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ CJI पद से रिटायर होंगे और देश को प्रथम महिला CJI मिलेंगी। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना 35 दिन के लिए देश की CJI बनेंगी। इसके बाद न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा 31 अक्टूबर 2027 से छह माह तीन दिन के लिए प्रधान न्यायाधीश का पद संभालेंगे।
1950 में भी हुआ था ऐसा:-
बता दें कि 2027 तक ये तीसरी बार होगा, जब इतने कम वक्त में 3 CJI बनेंगे। दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय 1950 में अस्तित्व में आया था और उसके बाद सबसे पहले 1991 में नवंबर और दिसंबर के बीच देश में तीन अलग-अलग प्रधान न्यायाधीश बने थे। तब CJI रंगनाथ मिश्रा 24 नवंबर 1991 को सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद न्यायमूर्ति कमल नारायण सिंह 25 नवंबर से 12 दिसंबर तक यानी कुल 18 दिन के लिए CJI बने। बाद में जस्टिस एमएच कानिया ने यह पद संभाला और 13 दिसंबर 1991 से 17 नवंबर 1992 तक यानी 11 महीने तक प्रधान न्यायाधीश रहे।
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