'काफिर, पुलिस का पक्ष लेती है..', शौहर ने तीन-तलाक देकर पत्नी को घर से निकाला

'काफिर, पुलिस का पक्ष लेती है..', शौहर ने तीन-तलाक देकर पत्नी को घर से निकाला
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के संभल में मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा पुलिस पर हिंसक हमले की पृष्ठभूमि में, एक महिला को सत्य का समर्थन करना भारी पड़ गया। इस घटना में कट्टरपंथियों ने पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी की, उनके हथियार छीन लिए और उनके वाहनों को आग के हवाले कर दिया। जब इस महिला ने इन कृत्यों की निंदा करते हुए पुलिस का पक्ष लिया, तो उसके पति ने न केवल उसे काफिर कहा, बल्कि तीन तलाक देकर घर से बाहर निकाल दिया। 

कटघर क्षेत्र की रहने वाली पीड़ित महिला की शादी 2012 में हुई थी और उसके तीन बच्चे हैं। 2021 में उसने अपने पहले पति से तलाक लिया। इसके बाद, एक निर्यात फर्म में मर्चनटाइजर के रूप में काम करने वाले व्यक्ति से उसकी मुलाकात हुई। दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं, और आरोपी ने उसे गुरुग्राम बुलाया। महिला का आरोप है कि आरोपी ने निकाह का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया। जब उसने निकाह के लिए दबाव डाला, तो मामला थाने पहुंचा।  17 दिसंबर 2021 को आरोपी ने महिला से निकाह कर लिया, लेकिन शादी के बाद से ही महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा। पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसके पति ने उसकी नाबालिग बेटी के साथ भी छेड़छाड़ की और जेठ ने दुष्कर्म का प्रयास किया। विरोध करने पर 31 अक्टूबर को पति ने उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया। 

4 दिसंबर को महिला अपने पति के कार्यालय पहुंची, जहां उसने अपने पति को देखा। इस दौरान वह यूट्यूब पर संभल विवाद से संबंधित एक वीडियो देख रही थी, जिसमें कट्टरपंथियों द्वारा पुलिस पर किए गए हमले के दृश्य थे। जब पति ने वीडियो देखने पर आपत्ति जताई और उसे बंद करने को कहा, तो महिला ने पुलिस का समर्थन किया। इस पर पति भड़क गया और गुस्से में उसे काफिर 
(गैर-इस्लामी) कहते हुए तीन तलाक दे दिया। 

पीड़िता ने एसएसपी कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है। उसने अपने पति पर घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, मानसिक प्रताड़ना और बेटी के साथ छेड़छाड़ के गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला ने मांग की है कि उसके पति और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।  यह घटना स्पष्ट करती है कि कट्टरपंथी इस्लामी मानसिकता सत्य का समर्थन करने वाले किसी भी व्यक्ति को अपना शत्रु मान लेती है, चाहे वह अपनी पत्नी ही क्यों न हो। इस मामले में, महिला ने पुलिस के समर्थन में खड़ा होकर साहस दिखाया, लेकिन अपने कट्टरपंथी पति के अन्याय का शिकार बन गई। यह सोचने पर मजबूर करता है कि जो लोग कट्टरपंथियों के गलत कामों का समर्थन नहीं करते, उनके साथ अपने घर में ही कैसा बर्ताव होता होगा?  

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