देहरादून: भारत और चीन के रिश्ते कगज़ पर भले ही कितने भी मजबूत दिखें, लेकिन हक़ीक़त इससे कोसों दूर है. हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 3 महीने में 2 बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात कर चुके हैं और इस बार भी दक्षिण अफ्रीका में होने वाले ब्रिक्स सम्मलेन में भी वे जिनपिंग के साथ अलग से बैठक करेंगे. हर बार चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद पीएम मोदी यही आश्वासन देते हैं कि भारत और चीन के सम्बन्ध प्रगाढ़ हो रहे हैं, लेकिन कैलाश मानसरोवर यात्रा से लौटे यात्री इसकी उल्टी कहानी बयां करते हैं.
इस दिन हुआ था भारत में पहला रेडियो प्रसारण
कैलाश मानसरोवर यात्रा पूरी करके लौटे यात्रियों ने बताया है कि उन्हें यात्रा के दौरान चीनी क्षेत्र में खुले में शौच करने जाना पड़ता था. यात्रियों ने बताया कि भारतीय क्षेत्र में यात्रा का जिम्मा संभालने वाले कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के कर्मचारी और आइटीबीपी के जवान यात्रियों का बहुत सहयोग करते हैं और भारतीय सीमा तक खाने-पीने से लेकर सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं. लेकिन जैसे ही हम चीन के क्षेत्र डेरापुक, दारचीन में प्रवेश करते हैं तो वहां हमे शौच के लिए भी खुले में ही जाना पड़ता है.
मुंबई शेयर बाजार तेजी के साथ बंद
जबकि आपको बता दें कि मानसरोवर यात्रा के दौरान चीन में 8 दिन गुजरने पड़ते हैं, जिसमे सिर्फ रहने के लिए प्रति यात्री 901 डॉलर का भुगतान करता है,उसके बाद भी चीन की तरफ से यात्रियों को कोई सहूलियत नहीं दी जाती है. ऐसे में यात्रियों ने विदेश मंत्रालय से इस बारे में कदम उठाने की मांग की है. यात्रियों का यह भी कहना है कि जब चीन हमारी सीमा के सैकड़ों मील अंदर तक सड़क बना सकता है, तो क्या भारत सरकार चीन में अपने देशवासियों के लिए एक शौचालय का निर्माण नहीं करवा सकती और अगर इसके लिए भी हमे चीन इज़ाज़त नहीं देता तो हमें चीन से मित्रता का ढोंग बंद कर देना चाहिए.
खबरें और भी :-
निदा की मुश्किलों में इजाफा, अब पत्थर मारने और चोटी काटने का फतवा जारी
स्वराज नायक बाल गंगाधर तिलक पर विशेष