गंगाजल लाते ही खौलने लगता है मानसरोवर के इस कुंड का पानी

गंगाजल लाते ही खौलने लगता है मानसरोवर के इस कुंड का पानी
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कैलाश मानसरोवर जाते हैं तो रास्तें में मणिमहेश स्थान भी आता है हम कह सकते है कि जब हम मणिमहेश यात्रा पर जाते हैं तो रास्ते में एक गौरी कुंड आता है. इस कुंड को लेकर कहा जाता है कि यह महिलाओं से विशेष जुड़ा हुआ है. इस कुंड में सिर्ऱ महिलाएं ही स्नान कर सकती है. कहा जाता है कि यहां पर माता पार्वती ने भगवान शिव की तपस्या की थी.

आपको बता दें, इस कुंड के पानी को लेकर ये कहानी है कि जब भगवान शिव ने देवी गंगा का अहम तोड़ने के लिए उसे अपनी जटा मे समा लिया था. जिससे गंगा भगवान के शरीर से स्पर्श में आ गई थी जिससे देवी पार्वती काफी गुस्सा हो गई थी. यह बात माता पार्वती को अच्छी नहीं लगी थी. भगवान के शरीर को छूने से गंगा पवित्र हो गई थी जो माता पारवती को अच्छा नहीं लगा. 

माता पार्वती को लगा कि अब से गंगा भगवान के साथ ही रहेगी. वह उदास हो गयी और गंगा से नाराज हो गई. इसके बाद कहा जाता है कि जब भी कोई व्यक्ति इस कुंड़ के पास से गंगा जल लेकर निकलता है तो उसका पानी खौलने लगाता है. इसलिए कोई भी यहां से निकलते समय गंगाजल लेकर नहीं जाता. 

इस पर आज तक यहां पर वैज्ञानिकों ने कई शोध किए है लेकिन आज तक कोई भी इस बारे में पता नहीं लगा पाया कि ऐसा क्यों होता है. साथ ही यहां को लेकर कहा जाता है कि यदि कोई यहां पर कुंड में गंदा वस्त्र फैंक देते हैं. तो कुंड का पानी सूख जाता है.

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