नई दिल्ली: अब तक कठिन लगने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा चीन सीमा तक सड़क बनने से सुगम हो जाएगी. जी दरअसल इस यात्रा में अब केवल एक सप्ताह का समय लगेगा. आप जानते ही होंगे अब तक इसमें 21 दिन का समय लगता था और कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए अब तक यात्रियों को आधार शिविर धारचूला से लगभग 80 किलोमीटर की यात्रा पैदल ही तय करनी पड़ती थी. वहीं इस दौरान उन्हें कठिन और दुर्गम स्थलों से होकर गुजरना पड़ता था और यात्रा बेहद जोखिम भरी होती थी. इसी के साथ यात्रियों को पहली शाम आधार शिविर में बितानी पड़ती थी और इसके बाद मांगती, गाला, बूंदी, गुंजी और नाभीढांग के पड़ावों में रुकना पड़ता था.
वहीं अब सीमांत तक सड़क बनने से कैलाश यात्री दिल्ली से सीधे लिपुलेख पहुंच सकेंगे और इस सड़क के बनने से अब तक कठिन मानी जाने वाली यात्रा सुगम होने वाली है. इसके अलावा छोटा कैलाश की यात्रा भी सुगम होने वाली है. आप सभी को बता दें कि छोटा कैलाश के यात्री गुंजी, कुटी और जौलिंगकांग तक वाहन से पहुंच सकेंगे और इसके लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बीआरओ की प्रशंसा करते हुए कहा कि, ''यह अद्भुत और प्रशंसनीय है कि सीमा सड़क संगठन ने इस कठिन कार्य को पूरा किया.'' उद्घाटन के बाद राजनाथ ने कहा, “कैलाश मानसरोवर जाने वाले श्रद्धालुओं की बड़ी मुश्किल अब आसान हो गई है. अब वो तीन सप्ताह की यात्रा एक ही हफ्ते में पूरी कर सकेंगे. इसके साथ ही स्थानीय लोगों और तीर्थ यात्रियों का दशकों पुराना सपना भी साकार हो गया है.”
इसी के साथ घट्टाबगढ़-लिपुलेख सड़क के ऑनलाइन उद्घाटन के अवसर पर मौजूद रहे अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ के सांसद अजय टम्टा ने चीन सीमा के लिए मुनस्यारी से बन रही धापा-बोगड्यार-मिलम मार्ग का मामला भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष उठाया. जी हाँ और इस पर उन्होंने कहा कि 2021 मार्च तक इस मार्ग का भी निर्माण पूर्ण हो जाएगा.
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