आप सभी को बता दें कि 19 नवंबर को कालभैरव जयंती है. ऐसे में इस दिन भगवान शिव ने कालभैरव रूप में अवतार लिया था और कृष्णाष्टमी को मध्याह्न के समय भगवान शंकर के अंश से भैरव रूप की उत्पत्ति हुई थी. कहते हैं भगवान भैरव से काल भी भयभीत हो जाता है इस कारण से ही उन्हें कालभैरव भी कहा जाता हैं. इसी के साथ भैरवाष्टमी काल का स्मरण करवाती है. आपको बता दें कि जो व्यक्ति काल भैरव की भक्ति करता है उसके पाप स्वतः दूर हो जाते हैं और मृत्यु के पश्चात इनके भक्तों को शिवलोक में स्थान प्राप्त होता है. ऐसे में काल भैरव के 52 रूप माने गए हैं और भैरव बाबा को शराब बहुत प्रिय मानी जाती है.
जी दरअसल उनके मंदिरों में शराब का प्रसाद अर्पित किया जाता है और भैरव बाबा को शराब चढ़ाकर हर मनोकामना पूरी की जा सकती है. जी हाँ, इसी के साथ काल भैरव अष्टमी के एक दिन पूर्व ऐसी शराब खरीदें जिसका रंग गौ मूत्र के समान हो और सोते समय उसे अपने तकिए को पास रखें.
उसके बाद सुबह यानि कालभैरव जयंती के दिन भैरव बाबा के मंदिर जाकर शराब को कांसे के कटोरे में डालकर आग लगा दें, क्योंकि ऐसा करने से राहु का प्रभाव शांत होगा और मन की समस्त इच्छाएं पूर्ण हों जाएंगी. आपको बता दें कि कालभैरव जयंती के दिन भैरव बाबा के मंदिर में जाकर शराब की बोतल चढ़ाकर किसी सफाई कर्मचारी को भेंट स्वरूप दे देने से जीवन में आ रही सभी समस्याओं का अंत हो जाता है.
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