आप सभी को बता दें कि हिंदू धर्म की मान्यताओं को माने तो हर महीने कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत करते हैं. इसी के साथ इस दिन काल भैरव की उपासना करते हैं. कहा जाता है कालभैरव भगवान शिव के ही अवतार हैं और वह अपने भक्तों से प्रसन्न होकर काल भैरव उनकी नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करते हैं. जी हाँ, वहीं साल 2020 की पहली कालाष्टमी 17 जनवरी यानी आज पड़ रही है और कलयुग में काल भैरव की उपासना करने से शीघ्र फल मिलने के बारे में कहा जाता है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं काल भैरव को प्रसन्न कर मनचाहा फल पाने के लिए कैसे करें उनका पूजन.
काल भैरव की पूजा विधि- इसके लिए सबसे पहले स्नान करें और व्रत रखें. अब इसके बाद मंदिर में जाकर भगवान शिव या भैरव की आराधना करें. अब शाम के वक्त भगवान शिव सहित माता पार्वती और भैरव की पूजा करें और भैरव को तांत्रिकों का देव कहा जाता है इसी कारण से उनकी पूजा रात को होती है. इसके बाद भैरव की पूजा करने के लिए धूप, दीपक, काले तिल, उड़द और सरसों के तेल से पूजा कर आरती करें और व्रत खोलने के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटियां खिलाएं.
काल भैरव मंत्र- ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:
कौन से संकट होंगे दूर - कहा जाता है काल भैरव की महिमा जिस किसी पर हो जाती है उन पर भूत, पिशाच और काल का साया कभी नहीं मंडराता. इसी के साथ अगर सच्ची श्रद्धा से काल भैरव की उपासना करने से सभी बिगड़े काम संवर जाते हैं और ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी के दिन कालभैरव की पूजा करने से सभी तरह के ग्रह-नक्षत्र और क्रोर ग्रहों का प्रभाव खत्म हो जाता है. वहीं सबसे मुख्य कालाष्टमी को कालभैरव जयंती के नाम से जाना जाता है और इस दिन जो उनकी पूजा कर ले सुखी जीवन बिताता है.
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