करण जौहर निर्मित फिल्म 'कलंक' में पति देव (आदित्य रॉय कपूर) के सम्मान और ज़फर (वरुण धवन) के प्यार के बीच खूबसूरत रूप (आलिया भट्ट) के भी टुकड़े हो जाते हैं. इसके दूसरी तरफ दिल टूटने वाली प्रेम कहानी का खुलासा हो रहा होता है उसी बीच भारत के इतिहास में एक अहम मोड़ आता है जहां से पीछे मुड़कर वापस आने की कोई गुंजाइश नहीं है. आइये जानते हैं फिल्म को दर्शकों ने कितना पसंद किया.
फिल्म : कलंक
कलाकार : वरुण धवन,आलिया भट्ट,सोनाक्षी सिन्हा,आदित्य रॉय कपूर,माधुरी दीक्षित,संजय दत्त,कुणाल खेमू
निर्देशक : अभिषेक वर्मन
मूवी टाइप : एक्शन, ड्रामा, रोमांस
अवधि : 2 घंटा 46 मिनट
रेटिंग : 3/5
कहानी : फिल्म की कहानी भारत-पाकिस्तान विभाजन से पहले, लाहौर के नजदीक स्थित हुसैनाबाद पर आधारित है, जहां बड़ी संख्या में लोहार रहते हैं और यहां की जनसंख्या में प्रमुख तौर पर मुस्लिम शामिल हैं. यहां रहने वाला चौधरी परिवार हुसैनाबाद का सबसे समृद्ध और शक्तिशाली परिवार है. इस परिवार में बलराज चौधरी और उनका बेटा देव शामिल है जो डेली न्यूज नाम का अखबार भी चलाता है. देव की जिंदगी में तब अचानक बड़ा बदलाव आ जाता है जब उसे रूप से शादी करनी पड़ती है. यहां से जैसे हर किसी की किस्मत बदल जाती है.
वही रूप बहार बेगम से संगीत की शिक्षा लेने जाती है तो उसकी मुलाकात जफर से होती है. कुछ मुलाकातों के बाद दोनों के बीच प्यार हो जाता है जो फिल्म के सभी किरदार की जिंदगी में ट्विस्ट लाता है. बता दें. कहानी आम कहानी जैसी ही है लेकिन इसे पेश कुछ अलग ढंग से किया गया है.
डायरेक्शन : फिल्म का स्क्रीनप्ले कई जगह बोर करता दिखता है, जिससे फिल्म बोझिल होने लगती है. हालांकि ओवरऑल बात की जाए तो फिल्म के डायलॉग से लेकर, किरदारों के बीच की ट्यूनिंग निराश नहीं करती. नफरत और बदले के बीच पनपने वाले प्यार को खूबसूरती से पेश किया गया है.
एक्टिंग : फिल्म की सबसे बड़ी हाइलाइट इसकी स्टारकास्ट थी जो सभी अपने किरदारों पर खरे उतरे. कहानी में रूप अपनी जिंदगी में आए अलग-अलग मोड़ पर कभी मजबूती तो कभी असहाय होती दिखाई देती है और आलिया ने किरदार के इन रंगों को बखूबी पर्दे पर पेश किया है. वरुण धवन अपनी टोन्ड बॉडी को फ्लॉन्ट करते हुए भी जफर की भावनाओं को परफेक्शन के साथ डिलिवर करने में सफल हुए. वहीं इन सबके बीच आदित्य रॉय कपूर ने अपनी ऐक्टिंग से काफी इम्प्रेस किया. इनके अलावा सोनाक्षी सिन्हा, माधुरी दीक्षित नेने, संजय दत्त और कुणाल खेमू भी ऐक्टिंग के मामले में दर्शकों को इम्प्रेस करने में कामयाब हुए.
फिल्म की कहानी 1940 के दशक के दौर को दिखाती है. फिल्म के लिए भव्य सेट का इस्तेमाल किया गया है. हालांकि कुछ सेटअप ऐसे थे जो कहानी और जिस पीरियड को फिल्म में दर्शाया गया है उसके मुताबिक फिट बैठते नहीं दिखे. गानों की बात करें तो घर मोरे परदेसिया और कलंक का टाइटल ट्रैक पहले ही लोगों के बीच पॉप्युलर हो चुका था. इसके अलावा अन्य गाने सभी को शायद ही पसंद आएं.
माईनस पॉइंट : 2 घंटे और 48 मिनट की इस फिल्म को देखने के बाद यह एहसास होता है कि थोड़ी टाइट एडिटिंग के साथ इसकी लंबाई को छोटा किया जा सकता था. कुल मिलाकर यह फिल्म ऐसी है जिसकी कहानी और किरदार आपके दिल को छूने में कामयाब होंगे.
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