कलावा धारण करने की परंपरा काफी पुरानी है और यह परम्परा हिन्दू धरम में निभाई जाती है। जी हाँ और किसी पर्व-त्योहार और पूजा-पाठ के समय कलावा धारण किया जाता है। इसी के साथ चैत्र नवरात्रि की अवधि में भी इसे धारण करना अत्यंत शुभ माना गया है। आप सभी को बता दें कि इसे बनाने में 3 तरह के धागों का इस्तेमाल किया जाता है। जी दरअसल इसमें लाल, पीले या सफेद रंग के धागे का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसके 3 धागे तीन शक्तियों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के प्रतीक हैं। वहीं हिंदू धर्म में इसे रक्षा के निमित्त धारण किया जाता है। इसी वजह से इसे रक्षा सूत्र कहते हैं। जी दरअसल ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति कलावा को विधि-विधान से धारण करता है उसकी हर प्रकार के कष्टों से रक्षा होती है। अब आज हम आपको बताते हैं कि कलावा धारण करने की सही विधि क्या है और अलग-अलग कामना की पूर्ति के लिए किस प्रकार का कलावा धारण किया जाता है?
धर्म शास्त्रों के मुताबिक कलावा सूत का बना होना चाहिए। जी हाँ और इसे मंत्रों के साथ ही बांधना चाहिए। इसी के साथ ही इसे किसी भी दिन पूजा का बाद धारण करना चाहिए। आपको बता दें कि लाल, पीला और सफेद रंग का बना हुआ कलावा सबसे अच्छा माना गया है। ध्यान रहे पुराने कालावे को ऐसे स्थान पर रखना चाहिए ताकि उसमें किसी का पैर ना लगे।
अलग-अलग कामना की पूर्ति के लिए किस प्रकार का कलावा धारण करें- शिक्षा में उन्नति और पढ़ाई में एकाग्रता के लिए नारंगी रंग का कलावा धारण किया जाता है। ध्यान रहे इसे किसी भी बृहस्पतिवार के दिन धारण करें। विवाह संबंधी समस्या को दूर करने के लिए सफेद रंग का कलावा किसी शुक्रवार के दिन सुबह धारण करें। रोजगार और आर्थिक लाभ के लिए नीले रंग का कलावा शनिवार की संध्या में धारण करें। इसी के साथ ही इसे किसी बुजुर्ग से बंधवाएंगे तो लाभ होगा। इसके अलावा नकारात्मक शक्तियों से रक्षा के लिए काले रंग का सूती धागा बांधना उचित होगा लेकिन इसे धारण करने से पहले मां काली के चरणों में अर्पित करें। इसी के साथ किसी अन्य धागे को ना बांधें।
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