हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी के पर्व को बहुत ही खास और महत्वपूर्ण मानते हैं और गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का पूजन किया जाता है. ऐसे में पार्वती नंदन का महत्वपूर्ण स्वरूप धूम्रकेतु भी हैं जो घोर कलियुग में आने वाला है. जी हाँ, गणेश जी का यह रूप समस्या और दोषों के साथ पापों का नाश करने वाला होगा जो घोर कलयुग में आएगा.
दरअसल महाभारत में कलियुग के बारे में ऐसा कहा गया हैं कि ''लोग अत्यंत स्वार्थी, आडंबरयुक्त, भ्रष्ट और अल्पायु होते जाएंगे. वही जीवन स्तर निरंतर घटेगा. वही मनुष्य अतिकृपण हो जाएगा. और थलचर जीवों के समान भोगी व्यवहार करेगा. ऐसे में घोर कलियुग में धर्म रक्षार्थ भगवान श्री गणेश धूम्रकेतु के रूप में आएंगे. बता दें, कि रिद्धी सिद्धी के स्वामी श्री गणेश का वर्ण धूम्र होगा.'' कहते हैं वह अपने धूम्रवर्ण के कारण ही धूम्रकेतु कहलाएंगे और धूम्रकेतु के दो हाथ होंगे. इसी के साथ उनका वाहन नीले रंग का अश्व होगा और उनके नाम शूर्पकर्ण, धूम्रवर्ण और धूम्रकेतु होंगे.
वहीं इस रूप में वह भक्तों का कल्याण और रक्षा करेंगे. कहा गया है घोर कलियुग में भगवान श्री विष्णु भी कल्कि अवतार लेंगे और धूम्रकेतु की देह से नीली ज्वालाएं उठेंगी. इसी के साथ विनय के प्रतीक गजानन इस रूप में क्रोधी भी होंगे और पापियों पर उनका क्रोध दण्डस्वरूप होगा. इस दौरान वह अपनी खड्ग से पापियों का सर्वनाश कर देंगे.
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