23 अप्रैल शुक्रवार को पंचांग के मुताबिक चैत्र शुक्ल की एकादशी तिथि है। इस एकादशी तिथि कामदा एकादशी भी बोला जाता है। एकादशी का उपवास प्रभु श्री विष्णु को समर्पित है। इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से प्रभु श्री विष्णु का विशेष आशीर्वाद मिलता है। प्रभु श्री विष्णु सभी तरफ की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। इसके साथ ही जीवन में आने वाली समस्याओं को भी दूर होती हैं।
हिंदू पंचांग के मुताबिक, 23 अप्रैल को कई शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है। जो व्यक्ति किसी नए कार्य को शुरू करना चाहते हैं उनके लिए यह दिन उत्तम है। इस दिन शुभ तथा मांगलिक कार्य करने से कामयाबी प्राप्त होती है। ज्योतिष गणना के मुताबिक, कामदा एकादशी वृद्धि तथा ध्रुव योग में मनाई जाएगी। वृद्धि योग 02 बजकर 40 मिनट तक रहेगा और इसके उपरांत ध्रुव योग आरंभ होगा। मांगलिक तथा शुभ कार्य करने के लिए ये दोनों ही योग अच्छे माने गए हैं। वही 22 अप्रैल की रात 11 बजकर 35 मिनट से एकादशी तिथि शुरू होगी। कामदा एकादशी की तिथि का समापन 23 अप्रैल की रात 09 बजकर 47 मिनट पर होगा।
एकादशी व्रत का पारण मुहूर्त:- कामदा एकादशी व्रत का पारण द्वादशी की तिथि में किया जाएगा। एकादशी उपवास में पारण की खास अहमियत होती है। व्रत का पारण विधि पूर्वक न किया जाए तो एकादशी व्रत का पूरा फल प्राप्त नहीं होता है। कामदा एकादशी व्रत का पारण 24 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 47 मिनट से 08 बजकर 24 मिनट पर किया जा सकता है।
कामदा एकादशी व्रत की पूजा विधि:- 23 अप्रैल को प्रात: काल उठकर स्नान करने के पश्चात् पूजा शुरू करें। व्रत का संकल्प लेने के पश्चात् प्रभु श्री विष्णु की पूजा शुरू करें। जल, फल, पुष्प, मिष्ठान आदि चढ़ाएं। प्रभु श्री विष्णु को पीला रंग अधिक प्रिय है। इसलिए पूजा में पीले पुष्पों का इस्तेमाल करें। प्रभु श्री विष्णु की आरती करें। व्रत के नियमों का पालन करें।
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