नईदिल्ली। ब्रिटिश शासन काल के दौरान कई भारतीयों ने अपनी वीरता का परिचय दिया। कुछ ने भारत को स्वाधीन करवाने के लिए प्रयास किए तो कुछ लोगों ने ब्रिटिश राज व्यवस्था के विरूद्ध गोलाबारूद का प्रयोग किया। और कुछ ऐसे थे जिन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भारतीयता के पराक्रम का परिचय विश्व में दिया। भारतीय जवान ब्रिटेन की ओर से जर्मन सेना से युद्ध लड़ रहे थे। उन सैनिकों में 19 वर्ष का युवा सिपाही शामिल था।
जिसका नाम कमल राम था। इस कमल राम ने वर्ष 1944 में अपनी वीरता का परिचय दिया। ऐसे में उसे ब्रिटिश शासनकार के वीरता के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दरअसल 12 मई 1944 के दिन ब्रिटिश इंडियन आर्मी इटली की गारी नदी के पास जर्मनी से सीधी लड़ाई लड़ रही थी। इसी दौरान जब सैनिक नदी पार कर रहे थे तो जर्मनी की ओर से एक साथ 4 चैकियों से जमकर गोलीबारी हुई।
ब्रिटिश - भारतीय सेना के कंपनी कमांडर ने सिपाही को दुश्मन की चौकी पर हमले के लिए कहा। ऐसे में कमल वीरता का परिचय देते हुए आगे आए और उन्होंने दुश्मन की चौकी पर हमला कर दिया। कमल राम 8 वीं पंजाब रेजिमेंट का भाग थे। उन्होंने जर्मन मशीनगन को ही ध्वस्त कर दिया। वे विक्टोरिया क्राॅस करने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के सिपाही थे।
राजस्थान में किया भारत और ब्रिटिश सैनिकों ने युद्धाभ्यास