काम्या कार्तिकेयन ने रचा इतिहास..! सातों महाद्वीप की सात सबसे ऊँची चोटियों पर फहराया तिरंगा, बना विश्व रिकॉर्ड

काम्या कार्तिकेयन ने रचा इतिहास..! सातों महाद्वीप की सात सबसे ऊँची चोटियों पर फहराया तिरंगा, बना विश्व रिकॉर्ड
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मुंबई: 'भारत की बेटी' काम्या कार्तिकेयन ने अपनी असाधारण उपलब्धि से पूरे देश का नाम रोशन कर दिया है। महज 17 साल की उम्र में उन्होंने सात महाद्वीपों की सात सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ाई पूरी कर एक नया इतिहास रच दिया। काम्या अब दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला बन गई हैं, जिन्होंने यह अद्भुत कारनामा कर दिखाया है। उनकी इस उपलब्धि ने युवाओं के लिए एक नई प्रेरणा पेश की है और यह साबित कर दिया है कि साहस और दृढ़ संकल्प के साथ कुछ भी असंभव नहीं है।

 

काम्या ने अपनी यह ऐतिहासिक यात्रा 24 दिसंबर 2023 को पूरी की, जब उन्होंने अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी, माउंट विंसन, पर चढ़ाई की। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने दुनिया की बाकी छह महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर भी फतह हासिल की और वहां तिरंगा लहराया। इनमें माउंट एवरेस्ट (एशिया), माउंट किलिमंजारो (अफ्रीका), माउंट एल्ब्रुस (यूरोप), माउंट कोसियस्ज़को (ऑस्ट्रेलिया), माउंट अकोंकागुआ (दक्षिण अमेरिका), और माउंट डेनाली (उत्तर अमेरिका) शामिल हैं।

काम्या की यह यात्रा इतनी आसान नहीं थी। उत्तराखंड में केवल 7 साल की उम्र में ट्रैकिंग से शुरू हुई उनकी इस यात्रा में अनगिनत चुनौतियां थीं। लेकिन उनके हौसले ने हर बाधा को पीछे छोड़ दिया। 16 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली काम्या ने खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाया और हर ऊंचाई को छूने का सपना पूरा किया।  

काम्या नेवी चिल्ड्रन स्कूल, मुंबई की छात्रा हैं, और उनकी इस उपलब्धि पर स्कूल ने गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “काम्या ने न केवल बाधाओं को पार किया, बल्कि नई ऊंचाइयों को छूते हुए इतिहास रच दिया। हम उनके साहस और कड़ी मेहनत को सलाम करते हैं।” भारतीय नौसेना ने भी इस गौरवशाली उपलब्धि पर काम्या और उनके पिता, कमांडर एस कार्तिकेयन, को बधाई दी। नौसेना के एक अधिकारी ने कहा, “काम्या ने यह साबित कर दिया कि मेहनत और साहस से हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने भारत को गौरवान्वित किया है।”

काम्या की यह यात्रा देश की हर बेटी के लिए एक प्रेरणा है। यह उपलब्धि हमें सिखाती है कि कोई भी सपना बड़ा नहीं होता, बशर्ते उसे पूरा करने का जज्बा हो। भारत को अपनी इस बेटी पर गर्व है, जिसने साबित कर दिया कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती।

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