नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और CPI नेता कन्हैया कुमार आज कांग्रेस पार्टी का दामन थाम सकते हैं। अक्सर अपने बयानों और हरकतों के चलते विवादों में रहने वाले कन्हैया कुमार ने 2019 लोकसभा चुनाव में CPI का दामन थामा था, लेकिन बेगुसराई सीट से भाजपा उम्मीदवार गिरिराज सिंह ने उन्हें बुरी तरह पटखनी दी थी। आज जब कन्हैया वापस पाला बदलकर कांग्रेस में जाने का मन बना रहे हैं, तो कांग्रेस पर देशद्रोही नेताओं को संरक्षण देने के आरोप फिर लगने लगे हैं। दरअसल, कन्हैया कुमार अपने कुछ बयानों के चलते विवादों में घिर चुके हैं, यहाँ तक कि उनपर देशद्रोह का केस भी दर्ज हो चुका है। आज हम आपके लिए कन्हैया के ऐसे ही 3 विवादित बयान लेकर आए हैं, जो उन्हें कटघरे में खड़ा करते हैं।
1- भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाल्लाह:-
9 फरवरी 2016 को JNU में एक कश्मीरी आतंकी मोहम्मद अफजल गुरु को फांसी के खिलाफ एक छात्र रैली में राष्ट्रविरोधी नारे लगाने के आरोप में देशद्रोह का केस दर्ज किया गया था। दिल्ली पुलिस ने उन्हें अरेस्ट किया था। 2 मार्च 2016 में अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया। कन्हैया कुमार की रैली में 'भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाल्लाह-इंशाल्लाह', 'अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं' और 'भारत की बर्बादी तक जंग चलेगी' के नारे लगाए गए थे। हालांकि, बाद में कोर्ट ने सबूतों के आभाव में उन्हें बरी कर दिया था।
2- कश्मीरी औरतों का बलात्कार करती है भारतीय सेना:-
ये बयान देते हुए तो JNU के विद्यार्थी रहे कन्हैया को शर्म आनी चाहिए थी, लेकिन नहीं आई। जो सेना आतंकी बने कश्मीरी युवाओं को वापस मुख्यधारा में लाने के लिए सरेंडर करने की गुहार लगाती रहती है, यहाँ तक कि कई बार उनकी गोलियों का शिकार भी बनती है, उस सेना पर कन्हैया ने ये बेशर्मी भरी टिप्पणी की थी। 8 मार्च 2016 को दिल्ली में कन्हैया ने कहा था कि, सुरक्षा के नाम पर भारतीय सेना कश्मीरी महिलाओं का बलात्कार करती है।
3- बिहार से हूँ, छठी का दूध याद दिला दूंगा:-
16 फरवरी 2020 को बिहार के नालंदा में कन्हैया कुमार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सीधे तौर पर ललकारते हुए कहा कि यदि धर्म के आधार पर किसी की भी नागरिकता छीनी जाएगी, तो अमित शाह हम बता देते हैं कि मैं बिहार की धरती से हूं। हम भी छठी के दूध याद दिला देंगे। बता दें कि ये वो समय था जब CAA पारित हुए कुछ समय हुआ था, और ये किसी की नागरिकता लेने का नहीं बल्कि नागरिकता प्रदान करने का कानून था। लेकिन कन्हैया ने इस मुद्दे पर फिर अपनी जहरीली भाषा का प्रयोग करके युवाओं को भड़काने का काम किया था।
अब यही कन्हैया कुमार, राहुल गांधी की सेना के सिपाही बनने जा रहे हैं तो ये सवाल उठना लाज़मी है कि, जो शख्स सुप्रीम कोर्ट को आतंकी अफ़ज़ल गुरु का कातिल बताता हो, देश की रक्षा करने वाली सेना को बलात्कारी कहता हो, जहरीले भाषणों से युवाओं के मन में विष घोलने का काम करता हो, उस शख्स को केवल तुच्छ सियासी लाभ के लिए क्या देश की सबसे पुरानी पार्टी उसे सिर-आँखों पर बिठा लेगी ?
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