जयपुर: आज रविवार (2 दिसंबर) को 4 राज्यों में आज रविवार (3 दिसंबर 2023) मतगणना जारी है। इसमें भाजपा राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में आसानी से सरकार बनाती नज़र आ रही है। वहीं, तेलंगाना में सत्ताधारी BRS के हाथ से सत्ता जाती नज़र आ रही है और कांग्रेस बढ़त में है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी और अब वहाँ भाजपा आगे चल रही है। वहीं, मध्य प्रदेश में भाजपा सत्ता में वापसी करती नज़र आ रही है।
जो कपड़ा काट कर हमारे गले के लिए क़मीज़ बनाता था
— Shivam Tyagi (@ShivamSanghi12) October 23, 2023
जब उसका गला काट दिया गया तो इंसानियत का क़त्ल तो हुआ राजस्थान में
जब दंगे हुए हिंदू धार्मिक यात्राएँ नहीं निकालने दी गई उन पर पत्थर चले तो इंसानियत का क़त्ल तो हुआ
और उसी क़त्ल का हिसाब अब राजस्थान की जनता कॉंग्रेस से लेगी……… pic.twitter.com/7lRhUAFgah
इन सब चुनावों में राजस्थान के चुनाव का एक अलग ही महत्व था। यहाँ काँटे की टक्कर की उम्मीद थी, लेकिन भाजपा यहाँ सत्ता में आती दिख रही है। कुछ सियासी जानकारों का मानना था कि राज्यों में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार फिर से वापसी करेगी और हर पाँच वर्ष पर सरकार बदलने का यहाँ का पुराना रिवाज टूटेगा। हालाँकि, पीएम नरेंद्र मोदी ने राजस्थान की एक रैली में कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंकने की अपील की थी। राजस्थान के चुनाव में आतंकी हमले के शिकार हुए दर्जी कन्हैया लाल का मुद्दा भी जमकर उठा था।
राजस्थान कांग्रेस की सरकार में महिला उत्पीड़न और हिंदुओं पर हमलों हुए निरंतर हमलों ने कांग्रेस सरकार को बैकफुट ला दिया था। राज्य में आतंकियों के मनोबल ने इतना बढ़ गया था कि वे खुलेआम हमले कर रहे थे और सरकार भी हिंदुओं के रामनवमी और हनुमान जयंती पर्व में शोभायात्रा निकालने पर बैन लगा रही थी। कांग्रेस सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की पुरानी नीति ने राजस्थान में हिंदुओं को उद्वेलित किया और एक बार फिर पुरानी सियासी दल को दोहराते हुए भाजपा की वापसी का रास्ता स्पष्ट किया। सामने आ रहे रूझानों से स्पष्ट पता चल रहा है कि राजस्थान में कन्हैयालाल के क़त्ल वाले फैक्टर ने काफी असर दिखाया है। हालाँकि, ‘लाल डायरी’, परीक्षा पत्र का आउट होना, भर्तियों में भ्रष्टाचार, महिलाओं के प्रति हिंसा आदि ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई।
राजस्थान की @ashokgehlot51 सरकार में हिन्दुओं के पलायन और नरसंहार के लिये कौन जिम्मेदार हैं,याद रक्खें राजस्थान में कांग्रेस की सरकार हैं,जिसका बोटवैंक का इतिहास इस्लामिकरण का रहा हैं,वेशक हिन्दुओं का नरसंहार कर दिया जाए,परन्तु मुस्लिम सुरक्षित रहना चाहियें? @PMOIndia ध्यान दें pic.twitter.com/8lnknOmQAl
— Brahmrishi Ramanand Sarswati {शांतिदूत} (@Brahmrishi27) August 4, 2022
बता दें कि 28 जून 2022 को उदयपुर के कन्हैयालाल की ही दुकान में घुसकर कट्टरपंथी मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने उनकी निर्मम हत्या कर दी थी। उनकी अस्थियों को आज भी विसर्जन की प्रतीक्षा है, क्योंकि कातिलों को अब तक सजा नहीं हुई है। कन्हैयालाल की निर्मम हत्या के बाद कट्टरपंथियों ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने चितौड़गढ़ की एक जनसभा को संबोधित करते हुए 2 अक्टूबर को कहा था कि, “यहाँ अशोक गहलोत सोते-जागते अपनी कुर्सी बचाने में लगे थे और आधी कांग्रेस उनकी कुर्सी गिराने में लगी हुई थी। जनता को अपने हाल पर छोड़कर ये लोग आपसी जंग में व्यस्त रहे। कांग्रेस ने राजस्थान को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी।'
पीएम मोदी ने जनसभा में कहा था कि, '5 वर्षों में कांग्रेस सरकार ने राजस्थान की साख को नष्ट कर दिया है। मैं बेहद दुखी मन से कहता हूँ कि जब अपराध, दंगे, महिलाओं-दलितों पर जुल्म की बात होती है, तो राजस्थान शीर्ष पर आता है। मैं बेहद दुःख के साथ आपने पूछता हूँ कि क्या 5 वर्ष पूर्व आपने इसलिए राजस्थान को वोट दिया था?' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि उदयपुर में जो हुआ, उसकी किसी ने सोचा भी नहीं होगा था। लोग कपड़े सिलवाने के बहाने आते हैं और बगैर किसी डर या दहशत के दर्जी का गला काट देते हैं, इस मामले में भी कांग्रेस को वोट बैंक दिखाई दिया। उन्होंने कांग्रेस से सवाल किया कि उदयपुर दर्जी हत्याकांड में कांग्रेस पार्टी ने क्या किया, वोट बैंक की सियासत की?'
राजस्थान से भी हिंदुओ का पलायन शुरू.।।
— ईश्वर वशिष्ट ???????? (@VashistIshwar02) July 7, 2020
जहा भी शांतिदूतों की जनसंख्या ज्यादा, वहीं से ऐसी खबरे क्यो आती है... हिन्दू सुरक्षा के लिए कड़ा कानून बने।
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यहाँ तक कि, राजस्थान में परीक्षाओं में हिजाब-बुर्के की अनुमति दी गई, लेकिन अन्य बच्चियों के सलवार-कमीज़ की आस्तीनें काट-काटकर उनकी तलाशी ली गई, इससे भी जनता में आक्रोश पनपा। REET परीक्षा में महिलाओं के मंगलसूत्र, कान की बालियां तक उतरवा ली गई थीं, लेकिन हिजाब में युवतियां परीक्षा देने पहुंची थीं। वहीं, राजस्थान के करौली में हिन्दू नव वर्ष के अवसर पर हिंदुओं की शोभायात्रा पर कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा हमला कर दिया गया था। वो अपने घरों की छतों पर हिंदुओं की प्रतीक्षा ही कर रहे थे। जैसे ही जुलूस मुस्लिम बहुल इलाके से निकलने लगा, तो वहाँ से पथराव शुरू हो गया। बाइक पर सवार हिंदुओं को पत्थर मारे गए। जुलूस में शामिल 40-50 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए। इस दौरान भी राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगा। करौली में दंगों से पीड़ित हिन्दू अपने घरों पर 'यह घर बिकाऊ है' के पोस्टर लगाने और पलायन करने के लिए भी मजबूर हो गए थे। इसी तरह के हमले जोधपुर और भीलवाड़ा में भी हुए थे। ये एक ट्रेंड की तरह था, कोई भी हिन्दू त्यौहार हो, लोग शोभायात्रा निकालें तो, मुस्लिम इलाके में उसपर हमला होना ही है। ये ट्रेंड देश के कई राज्यों में देखा गया, हालाँकि, कई जगह आरोपियों पर कार्रवाई भी हुई, लेकिन कांग्रेस सरकारों पर उचित कार्रवाई न करने के आरोप लगे। अजमेर और अलवर में हज़ारों लोगों ने सड़कों पर 'सर तन से जुदा' के नारे लगाए, लेकिन गहलोत सरकार उन्हें रोकने में भी विफल दिखी।
इन हमलों में केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए गए कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) का नाम सामने आया था। ये संगठन 2047 तक भारत में इस्लामी शासन लागू करने के मिशन पर काम कर रहा था। लेकिन, ये PFI राजस्थान में खुलेआम रैलियां निकाल रहा था। इसे भी कांग्रेस सरकार की बड़ी भूल माना गया और पार्टी पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगे। सियासी जानकारों का मानना है कि, कन्हैयालाल की हत्या, बढ़ता कट्टरपंथ, हिन्दू त्योहारों पर प्रतिबंध, तुष्टिकरण के चलते आरोपियों पर कार्रवाई न करना, राजस्थान में कांग्रेस को पीछे रखने में इन सभी चीज़ों की भूमिका रही है। चुनाव आयोग के अनुसार, राजस्थान में भाजपा 113 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस को 70 पर बढ़त है, राज्य में बहुमत का आंकड़ा 101 है, जिसे भाजपा आसानी से हासिल करती दिख रही है।
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