कंजरभाट समुदाय में शादी के बाद लड़कियों के वर्जिनिटी टेस्ट की परंपरा कई वर्षों से चलती आ रही है और इसमें शादी के बाद लड़की को शादी से पहले के अपने कुंवारे होने का सबूत देना पड़ता है. साथ ही बता दें कि यदि लड़की इस वर्जिनिटी टेस्ट में फेल हो जाती है तो उसे वापस उसके घर भी भेज दिया जाता है और फिर उसकी कभी भी शादी नहीं हो पाती है.
फिलहाल हाल ही में महाराष्ट्र के ठाणे जिले में कंजरभाट समुदाय के एक परिवार ने वर्जिनिटी टेस्ट की इस प्रथा का कड़ा विरोध और सामाजिक बहिष्कार किया है तो मामला पुलिस तक पहुंच पाया है. जानकारी के मुताबिक, हाल ही में गुरुवार को ठाणे पुलिस ने पीड़ित परिवार की शिकायत के आधार पर अंबरनाथ कस्बे के 4 लोगों के खिलाफ महाराष्ट्र जन सामाजिक बहिष्कार निषिद्ध (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया.
शिकायतकर्ता विवेक तामचीकर ने पुलिस से कहा कि उनके समुदाय की जाति पंचायत ने बीते एक साल से उनके परिवार का बहिष्कार कर दिया है क्योंकि उन्होंने समाज की उस प्रथा का विरोध किया था जिसके तहत नवविवाहित महिला को यह साबित करना होता है कि वह शादी से पहले कुंवारी थी या नहीं. विवेक ने इस बारे में पुलिस को बताया है कि यह मामला उस समय सामने आया था जब तीन दिन पहले उनकी दादी का निधन हो गया और पंचायत के कथित निर्देशों के कारण अंतिम संस्कार में उनके समाज का कोई भी सदस्य शामिल नहीं रहा था. सभी ने उनसे दूरी बना ली थी.
आगे विवेक ने आरोप लगाया कि उनकी पंचायत ने समुदाय के सभी सदस्यों को निर्देश दिया है कि वे उनके परिवार के साथ किसी भी तरह का संबंध न रखें. वहीं आपको बता दें कि फरवरी 2019 में महाराष्ट्र सरकार कह चुकी है कि वह जल्द महिला को वर्जिनिटी टेस्ट कराने के लिए बाध्य करने को दंडनीय अपराध की श्रेणी में डालेंगी. वहीं पुलिस ने भी इस प्रथा को गलत करार दिया है.
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