कानपुर हिंसा: रात में कहा- नहीं करेंगे बंद..., सुबह होते ही लोगों को भड़काने लगे और शुरू हो गया बवाल

कानपुर हिंसा: रात में कहा- नहीं करेंगे बंद..., सुबह होते ही लोगों को भड़काने लगे और शुरू हो गया बवाल
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की कानपुर पुलिस और खुफिया एजेंसियां बुरी तरह गच्चा खा गईं। दरअसल, रात में बंदी (Shutdown) की घोषणा करने वालों ने पुलिस के साथ बैठक में कहा था कि वे लोग बंदी नहीं कर रहे हैं। इससे पुलिस बेफिक्र हो गई, और उधर, सुबह से ही बंदी व लोगों को भड़काने का सिलसिला शुरू हो गया।

नई सड़क पर हुए बवाल में पुलिस की चूक और सूचना पर सही से काम न करना सबसे बड़ी लापरवाही मानी जा रही है। तीन दिन पहले से बाजार बंदी को लेकर लोगों को भड़काने का काम अंदर ही अंदर चल रहा था। लोगों के बीच पर्चे बांटे जा रहे थे। पुलिस को बंदी की जानकारी थी, लेकिन इसकी आड़ में हिंसा की साजिश रची जा रही थी। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (LIU) भी इनपुट जुटाने में नकाम रही। जो पर्चे बांटे गए उसमें ऊपर गुलामाने मुस्तफा, कानपुर लिखा था।  

इसके बाद लिखा गया कि 'नामूस-ओ- रिसालत की तौहीन के खिलाफ तीन जून को मुसलमानों से कारोबार बंद रखने की अपील। इसी पर्चे में आगे यह भी लिखा है कि किसी से जबरन दुकानें नहीं बंद कराई जाएंगी। गैर मजहबी भाइयों पर कोई दवाब नहीं डाला जाएगा। बंदी में कोई जुलूस व धरना प्रदर्शन नहीं किया जाएगा। अपीलकर्ता जौहर फैंस एसोसिएशन।' 

हिंसा में कौन-कौन घायल ?

बता दें कि, कानपूर में भड़की इस हिंसा में इंस्पेक्टर सीसामऊ कैलाश दुबे, सिपाही विवेक कुमार, सिविल डिफेंस डिप्टी डिवीजनल वार्डन नरेश कुमार भगतानी और आम लोगों में मुकेश, मंजीत यादव, राहुल त्रिवेदी, अमर बाथम, संजय शुक्ला, आशीष, अनिल गौड़, मुकेश देवगौड़ा, सौरभ गुप्ता, शिवम, आदर्श, पुत्तल, कैलाश आदि घायल हुए। जानकारी के अनुसार, हिंसा में घायल होने वालों में किसी भी मुस्लिम का नाम अब तक सामने नहीं आया है। हालाँकि, बताया ये जा रहा है कि, जुमे की नमाज़ के बाद हिंसा भड़की है, पुलिस इसके पीछे PFI का हाथ होने की भी जांच कर रही है

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