नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले ही वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने हार मान ली थी। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा था कि "कुछ लड़ाइयाँ हारने के लिए लड़ी जाती हैं।'' बता दें कि, शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द करने वाले 2019 के राष्ट्रपति के आदेश की वैधता पर अपना आदेश सुनाया। पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सोमवार को सर्वसम्मति से फैसले में जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने के केंद्र के कदम को बरकरार रखा।
Courts
— Kapil Sibal (@KapilSibal) December 11, 2023
Some battles are fought to be lost
For history must record the uncomfortable facts for generations to know
The right and wrong of institutional actions will be debated for years to come
History alone is the final arbiter
of the moral compass of historic decisions
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश सुनाते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के तहत प्रदान की गई जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति अस्थायी थी और विशेष स्थिति को रद्द करने वाले राष्ट्रपति के आदेश "वैध" हैं। सिब्बल ने उन याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया जिन्होंने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की वैधता को चुनौती दी थी, जिसने जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान किया था। अब, शीर्ष अदालत के फैसले ने 5 अगस्त, 2019 के राष्ट्रपति के आदेश की वैधता और संवैधानिक वैधता को संबोधित किया है।
सिब्बल ने एक्स (पूर्व ट्विटर) को संबोधित करते हुए कहा, न्यायालयों, कुछ लड़ाइयाँ हारने के लिए लड़ी जाती हैं। इतिहास को पीढ़ियों के जानने के लिए असुविधाजनक तथ्यों को दर्ज करना होगा। संस्थागत कार्रवाइयों के सही और गलत होने पर आने वाले वर्षों में बहस होती रहेगी। इतिहास ही अंतिम निर्णायक है। ऐतिहासिक निर्णयों की नैतिक दिशा-निर्देश।" बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला 11 बजे सुनना शुरू किया था, जबकि सिब्बल का ट्वीट सुबह 9:39 बजे का था। इससे यही प्रतीत होता है कि, शायद वरिष्ठ वकील पहले ही मान गए थे कि वो ये मुकदमा हारने वाले हैं। हालाँकि, उन्होंने जोर काफी लगाया था। बता दें कि, पूर्व कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार के फैसले को असंवैधानिक बताया था और जम्मू कश्मीर में 370 फिर से लागू करवाने की मांग की थी। यहाँ तक कि, इसके लिए सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से जम्मू कश्मीर में जनमत संग्रह करवाने तक की मांग कर डाली थी, हालाँकि, कोर्ट में उनकी दलीलें नहीं चलीं और मोदी सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ याचिकाओं के एक समूह पर फैसला सुनाया। राष्ट्रपति के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पिछली सुनवाई के दौरान सिब्बल ने कहा था कि, 'भारत के इतिहास में कभी भी किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में नहीं बदला गया है।'
यह पहली बार नहीं हुआ है,कपिल सिब्बल बहुत बड़े और कनेक्शन वाले वकील हैं। उनका केस हारने का बहुत लंबा इतिहास रहा है।
— Ajey Patel (@AjeyPPatel) December 11, 2023
बाबरी मस्जिद - हारे
तीन तलाक़ - हारे
लालू यादव - हारे
हिजाब - हारे
शरद यादव - हारे
संजय दत्त - हारे
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लिस्ट बहुत लंबी है कितना बताऊं। pic.twitter.com/mXSC26Qlqw
सिब्बल ने कहा था कि, "आप किसी राज्य की सीमाएं बदल सकते हैं, आप छोटे राज्य बनाने के लिए बड़े राज्य की सीमाओं को विभाजित कर सकते हैं। लेकिन इस देश के इतिहास में कभी भी किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में परिवर्तित नहीं किया गया है।" उन्होंने कहा था, ''आप अलग हो सकते हैं लेकिन आप एक दिन में पूरे मध्य प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश नहीं बना सकते।'' सिब्बल ने पूरे समय यह तर्क दिया है कि अनुच्छेद 370 को हटाना राजनीतिक कदम था, संवैधानिक नहीं। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट में उनकी एक न चली और पाँचों जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से मोदी सरकार के फैसले को सही माना।