नई दिल्ली: महाराष्ट्र में शनिवार को देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के शपथग्रहण पर जारी रार सर्वोच्च न्यायालय की दहलीज तक पहुंच गई। रविवार को महा विकास अघाड़ी (एनसीपी-शिवसेना और कांग्रेस गठबंधन) की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। इसमें महाराष्ट्र सरकार, केंद्र सरकार, सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजित पवार शामिल हैं।
शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से सोमवार सुबह साढ़े दस बजे गवर्नर का आदेश और समर्थन पत्र मांगा है। न्यायमूर्ति रमन्ना ने यह भी कहा कि हर प्रक्रिया के लिए नियम निर्धारित हैं, नई सरकार को सदन में बहुमत सिद्ध करना ही पड़ेगा। बता दें कि शीर्ष अदालत में जस्टिस एन वी रमन, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच के समक्ष गठबंधन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि एनसीपी के 41 MLA भाजपा के साथ नहीं है, उसके बाद भी सरकार बनाने की स्वीकृति दे दी गई है।
कांग्रेस-एनसीपी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि NCP के पास कुल 54 विधायक हैं और 41 विधायकों ने महाराष्ट्र के गवर्नर को लिखा है कि अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह लोकतंत्र के साथ पूर्णतः धोखा और उसकी हत्या है कि सरकार बनाने की स्वीकृति तब दे दी गई जब एनसीपी के 41 विधायक उनके साथ नहीं हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि NCP के बाकी 13 MLA किसके साथ हैं।
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