जबलपुर: बॉलीवुड फिल्मों में हिंदू संस्कृति, परंपरा, आस्था, विश्वास को अपमानजनक तरीके से चित्रित करने और उनका मजाक उड़ाने का ट्रेंड सा चल पड़ा है। हालाँकि, जब बात किसी दूसरे धर्म की आती है, तो थोड़ी सी भी असंवेदनशीलता पर गंभीर प्रतिक्रिया होती है। जैसे अभी बॉलीवुड अभिनेत्री करीना कपूर खान ईसाई समुदाय का अपमान करने पर फंस गई हैं।
दरअसल, बॉलीवुड अभिनेत्री करीना कपूर खान ने गर्भावस्था के बारे में अपनी किताब के शीर्षक में "बाइबिल" शब्द का इस्तेमाल करके विवाद खड़ा कर दिया था। इससे ईसाई समुदाय के सदस्यों में नाराजगी फैल गई, जिसके बाद वकील क्रिस्टोफर एंथोनी ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में करीना कपूर खान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए याचिका दायर की है। एंथोनी ने तर्क दिया कि करीना की किताब "करीना कपूर खान्स प्रेग्नेंसी बाइबल" के शीर्षक में "बाइबिल" शब्द के इस्तेमाल से ईसाई समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं। उन्होंने पहले जबलपुर में स्थानीय पुलिस के पास शिकायत दर्ज करने का प्रयास किया था, उसके बाद मजिस्ट्रेट अदालत में एक निजी शिकायत दर्ज की थी, जिसे दोनों खारिज कर दिया गया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा उनकी याचिका खारिज होने के बावजूद, एंथोनी कायम रहे और उन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने अब करीना कपूर खान, अमेज़न ऑनलाइन शॉपिंग, जगरनॉट बुक्स और किताब के सह-लेखक को नोटिस जारी कर सात दिनों के भीतर जवाब मांगा है। इस घटना ने बॉलीवुड में दोहरे मानदंड की ओर ध्यान आकर्षित किया है, जहां हिंदू त्योहारों और परंपराओं का अक्सर बिना किसी परिणाम के उपहास किया जाता है, जबकि अन्य समुदायों के खिलाफ थोड़ी सी भी कथित प्रतिक्रिया कानूनी कार्रवाई और सार्वजनिक आक्रोश का कारण बनती है।
दरअसल, भारत के बहुसंख्यक समुदाय के त्यौहार जैसे होली-दिवाली, उसकी परंपरा मंगलसूत्र-बिंदी, कन्यादान आदि पर बॉलीवुड वाले कई बार मज़ाक उड़ाते पाए जाते हैं। हालाँकि, अपनी सहिष्णुता के चलते बहुसंख्यक समुदाय चुप रह जाता है, अगर कोई बोलता भी है, तो उसे कट्टरपंथी कह दिया जाता है। वहीं, हिंदुओं की तरह जब ये लोग दूसरे समाज का माखौल उड़ाने का प्रयास करते हैं, तो उन्हें परेशानी उठानी पड़ती है। चाहे वह किसी मुद्दे पर फिल्म बनानी हो या फिल्म का कोई सीन हो, गैर-हिंदू समुदाय बॉलीवुड को ऐसा करने की आज़ादी नहीं देता है। इसके कई उदाहरण आप भी देख चुके होंगे।
इन्ही करीना कपूर को ले लीजिए, जिन्होंने करवा चौथ का मज़ाक उड़ाया था। करीना कपूर ने कहा था कि, 'जब दूसरी औरतें भूखी रहेंगी, मैं खूब खाऊँगी। क्योंकि मुझे अपना प्यार साबित करने के लिए भूखे रहने की जरूरत नहीं है।' वहीं, दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह की पत्नी रत्ना पाठक शाह ने भी इस परंपरा को पिछड़ेपन से जोड़ दिया था। पाठक ने कहा था कि, 'एक दफा किसी ने मुझसे पूछा था कि आप करवा चौथ का व्रत क्यों नहीं रखती ? तो मैंने यही सोचा कि मैं पागल हूँ क्या? ये बहुत ही अजीब है कि पढ़ी-लिखी महिलाएँ भी अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।” उन्होंने यह भी कहा था कि इससे पता चलता है कि असहिष्णुता कितनी बढ़ चुकी है कि करवा चौथ तक का सवाल किया जाता है। हालाँकि, गौर करने वाली बात ये है कि करीना या रत्ना को किसी परंपरा को नहीं मानना है, तो न माने, लेकिन जो लाखों-करोड़ों महिलाएं, इसमें आस्था रखती हैं, उन्हें पिछड़ा बताने का हक़ इन लोगों को किसने दिया ? हमेषा कहा भी जाता था कि, ये लोग जितना मज़ाक बहुसंख्यक समुदाय का उड़ाते हैं, कभी किसी दूसरे समुदाय के लिए करके देखें, तो पता चल जाएगा। अब करीना को 7 दिन में हाई कोर्ट के नोटिस का जवाब देना है, ईसाई समुदाय आक्रोशित है।
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