शिमला: देश के कई वीर जवानो ने देश के लिए अपनी जान गंवाई है, ओर अपनी बहादुरी से कई बार दुश्मनो के इरादों को भी नाकाम किया है. वही 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में कई वीर सैनिकों ने दुश्मन को धूल चटाते हुए, अदम्य साहस की मिसाल कायम की थी. कारगिल युद्ध में बहादुरी का परचम लहराने वाले ऐसे ही एक वीर योद्धा हैं, पठानकोट के गांव घरोटा रहवासी वीरचक्र विजेता कप्तान रघुनाथ सिंह. कारगिल युद्ध की यादें जहन में आते ही उनकी आंखें अंगारे बरसाने लगती हैं. उनकी आँखों में जोश था वो बहुत विशेष था.
इसी जोश व जज्बे से लबरेज कारगिल युद्ध के एक्सपीरियंस शेयर करते हुए, कैप्टन रघुनाथ सिंह ने अपने बयान में बताया, कि कारगिल में कप्तान विक्रम बत्रा युद्ध के नायक के रूप में लड़े. कप्तान बत्रा ने लाख रुपये की सैलरी वाली नौकरी को ठुकरा कर भारतीय सेना को चुना. आगे बताते हुए कप्तान रघुनाथ ने कहा, कप्तान बत्रा ने 10 पाक सैनिकों को ढेर कर प्वाइंट 5140 चोटी पर तिरंगा फहराया था.
कप्तान बत्रा की शहादत के पश्चात्, सूबेदार रघुनाथ (अब रिटायर्ड कैप्टन) ने कमान संभाली. और सभी साथियों समेत रेंगते हुए हमला बोल दिया, और पाक सेना के ग्रुप कमांडर इमत्याज खां सहित 12 पाक सैनिकों को मौत के घाट उतारकर बर्फीली चोटी पर भी तिरंगा लहराकर कप्तान बत्रा की शहादत का बदला लिया. साथ ही कप्तान रघुनाथ सिंह ने आगे बताया, कि 7 जुलाई 1999 को कप्तान विक्रम बत्रा को मास्को घाटी की प्वाइंट 4875 की चोटी को विपक्षियों से आजाद करवाने का टास्क मिला. ओर इस दौरान वह भी उनके साथ थे. बहादुरी से लड़ते हुए कप्तान बत्रा ने चोटी दुश्मन से आजाद करवा ली. ओर इस तरह अपने मकसद में कामयाब हुए.
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