बेंगलुरु: एक माता-पिता अपने बच्चे की जान बचाने के लिए क्या-क्या करते हैं, यह बात जगजाहिर है। ऐसा ही एक मामला कर्नाटक से सामने आया है, यहां एक पिता ने 300 किलोमीटर साइकिल चलाकर अपने बेटे को विशेष जरूरी दवाइयां लाकर दीं। एक निर्माण श्रमिक के रूप में काम करने वाले पिता ने अपने पुत्र के लिए जीवन रक्षक दवाओं की व्यवस्था करने के लिए तरासीपुर तालुक के बन्नूर के पास अपने पैतृक गांव गनिगनकोप्पल से बेंगलुरु तक तीन दिनों तक साइकिल से सफर किया।
बच्चा बचपन से ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहा है। उनका उपचार पिछले 10 वर्षों से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (NIMHANS), बेंगलुरु के डॉक्टर कर रहे हैं। उनके पिता हर दो माह में दवा खरीदने अस्पताल जाते थे। हालांकि, पिता COVID-19 लॉकडाउन की वजह से दवा लेने के लिए बेंगलुरु नहीं जा सके। उन्होंने साइकिल पर दवा खरीदने के लिए अस्पताल जाने का निर्णय लिया।
वह 23 मई को गनिगनकोप्पल से रवाना हुए और 26 मई को दवा लेकर घर वापस लौटे। उन्होंने मीडिया को बताया कि, "डॉक्टरों ने कहा था कि यदि लड़के के 18 वर्ष का होने से पहले दवाएं बंद कर दी जाती हैं तो मिर्गी का दौरा पड़ने की संभावना ज्यादा होती है। मैंने साइकिल पर यात्रा की। घटना के बारे में जानने पर निमहंस के डॉक्टरों ने मुझे 1,000 रुपये दिए।"
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