गुरुवार को कर्नाटक में 15 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए 62.18 प्रतिशत मतदान हुआ. कृष्णराजपेटे विधानसभा सीट पर सर्वाधिक 80 प्रतिशत तो केआरपुरा में सबसे कम 37 प्रतिशत मतदान हुआ. अब कुल 165 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला 9 दिसंबर को मतगणना के दिन होगा. कुल 12 सीटों पर भाजपा, जनता दल-सेक्युलर (जद-एस) और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. बीएस येदियुरप्पा की भाजपा सरकार को बहुमत में बने रहने के लिए उपचुनाव में सात सीटें जीतना जरूरी है.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जुलाई में कांग्रेस और जद-एस के कुल 17 विधायकों के इस्तीफे के कारण कुमारस्वामी की गठबंधन सरकार गिर गई थी. इसके बाद बी.एस. येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी थी. इन विधायकों को तत्कालीन स्पीकर ने अयोग्य करार देकर चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी. मगर, सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर में इन अयोग्य करार दिए गए विधायकों को चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कुल 17 में से 15 सीटों पर चुनाव हुआ. भाजपा और कांग्रेस ने सभी 15 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, जबकि जद-एस ने उत्तर कन्नड़ जिले के येलापुर, बेंगलुरू ग्रामीण की होसाकोटे सीट और बेलगावा की अठानी सीट से प्रत्याशी नहीं खड़े किए. इस प्रकार 12 सीटों पर त्रिकोणीय और तीन सीटों पर कांग्रेस-भाजपा की सीधी लड़ाई है.खास बात है कि जिन 15 सीटों पर विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, उनमें 2018 के विधानसभा चुनाव में 12 सीटें कांग्रेस ने और तीन जद-एस ने जीती थीं. ऐसे में भाजपा के लिए इन सीटों पर जीत दर्ज करना चुनौती है. हालांकि भाजपा ने कांग्रेस और जेडीएस के टिकट पर चुनाव जीतने वाले विधायकों को ही उपचुनाव में उतारा है.
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