धारवाड़: कर्नाटक के मुख्यमत्री एचडी कुमारस्वामी ने 'राइट टू एजुकेशन' (आरटीई) योजना को फर्जी स्कीम करार दिया है. सीएम कुमारस्वामी ने शुक्रवार को धारवाड़ में कन्नड़ साहित्य सम्मेलन में लोगों को सम्बोधन देते हुए यह बात कही. उनका यह बयान शीर्ष अदालत के उस फैसले के बाद आया है, जिसमें यह कहा गया है कि कन्नड़ मीडियम (माध्यम) के स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों में तब्दील किया जाए. उन्होंने कहा है कि डेढ़ लाख से अधिक विद्यार्थियों की फीस सरकार ने दी है और वे आरटीई के अन्तर्गत प्राइवेट अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पढ़ रहे हैं. ये एक फर्जी योजना है.
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कुमारस्वामी ने कहा है कि अंग्रेजी की वजह से राज्य में कन्नड़ भाषा लुप्त हो रही है. उन्होंने कहा कि हम संकल्प लेते हैं कि प्रदेश के प्राइवेट कॉन्वेंट और अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को पूरी तरह से प्राइवेट सेक्टर में ही रखेंगे. उल्लेखनीय है कि 1 अप्रैल 2010 को यूपीए सरकार ने 6 से 14 वर्ष की आयु के तमाम बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा देने के मकसद से शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) शुरू किया था. इस अधिनियम के पास होने के साथ ही देश के हर बच्चे को शिक्षा का संवैधानिक अधिकार मिल गया था.
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आपको बता दें कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के अंतर्गत देश के प्रत्येक 6 से 14 वर्ष के बच्चे को पहली से आठवीं तक मुफ्त और अनिवार्य रूप से पढ़ने का अधिकार है. यह कानून प्राइवेट स्कूलों पर भी लागू होता है. इसके साथ ही बच्चों को स्कूल में अन्य सुविधाएं भी मुफ्त ही दी जाती है.
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