डाक डिपार्टमेंट की गलती से गुम हुआ खत, अदालत ने भेजने वाले को दिलवाया पचपन हजार का मुआवजा

डाक डिपार्टमेंट की गलती से गुम हुआ खत, अदालत ने भेजने वाले को दिलवाया पचपन हजार का मुआवजा
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बेंगलुरु : कर्नाटक के बेंगलुरु में 67 वर्षीय के एक स्थानीय निवासी को डाक विभाग कि तरफ से पचपन हजार रुपये का मुआवजा दिया गया है. छह वर्ष की कानूनी लड़ाई के बाद डाक डिपार्टमेंट ने ये मुआवजा देने पर सहमति जाहिर कर दी है. ये मुआवजा डाक डिपार्टमेंट के 1 पत्र के खो जाने पर दिया गया है, जिसमें उक्त व्यक्ति के बच्चों की 2 ओरिजिनल मार्कशीट थी. इस केस में कर्नाटक की एक स्थानीय अदालत ने पोस्ट ऑफिस ऐक्ट-1898 के तहत मुआवजा देने का आदेश दे दिया है. 

बेंगलुरु के कोरमंगला क्षेत्र में रहने वाले एल. जयकुमार ने जून साल 2013 में 1 लेटर बेंगलुरु से मुंबई कि और भेजा था. हालांकी, ये खत जब मुंबई नहीं पहुंचा तो कोरमंगला के पोस्ट मास्टर से इसकी फ़रियाद की. सात अगस्त साल 2013 को डाक डिपाटमेंट ने एक जवाब देते हुए बोला कि उनका खत गलती से बेंगलुरु की इलेक्ट्रॉनिक सिटी के एड्रेस पर भेज दिया गया है.

तमाम प्रयसों के बाद जब खत और उसके साथ भेजे गए कागजात नहीं मिले तो, डिपार्टमेंट ने मामला बंद कर दिया. इसके बाद जयकुमार ने कोर्ट की शरण ली. डाक डिपार्टमेंट ने कोर्ट में तमाम दलीलें दी, जिसपर जयकुमार ने बीते कुछ केसों के रेफरेंस देते हुए डिपार्टमेंट से मुआवजा दिलाने की मांग की.  केस में छह वर्ष  तक चली कानूनी कार्रवाई के बाद कोर्ट ने शिकायतकर्ता जयकुमार के पक्ष में निर्णय सुनाया. पोस्ट ऑफिस ऐक्ट-1988 के रूल्स के तहत कोर्ट ने 24 जून 2020 को जयकुमार को पच्चास हजार रु का हर्जाना और अदालती खर्च के रूप में पांच हजार रुपये देने का आदेश जारी कर दिए.

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