कर्नाटक में होने वाले चुनाव में अब तक घटा है उसने जरूर राजनीति को और देश के लोकतंत्र को शर्मसार किया है, त्रिशंकु परिणाम के कयास के बाद जैसे ही परिणाम सामने आने लगे देश की राजनीति ने भी अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए थे.
दरअसल 15 मई को सुबह 8 बजे से चुनाव की काउंटिंग शुरू हुई, जिसके बाद सुबह ही 10:30 बजे के लगभग स्थिति भाजपा के पक्ष में थी. जिसके बाद बाद बीजेपी के कार्यकर्ताओं समेत नेताओं ने ट्वीटर पर बधाई देने शुरू कर दिया वहीं लाखों रूपये के पटाखे फोड़े गए है, लेकिन एक समय के बाद जैसे भाजपा के चेहरे की ख़ुशी काउंटिंग ने छीन ली और जेडीएस के खाते में डाल दी.
कर्नाटक चुनाव में परिणाम के बाद जैसे ही शाम तक परिणाम की साफ तस्वीर नजर आने लगी वैसे ही गुलाम नबी आजाद को सोनिया गाँधी ने फोन किया. इसके बाद कांग्रेस ने जेडीएस के साथ गठबंधन का ऐलान कर दिया जिसे जेडीएस ने भी स्वीकार कर लिया, और कुमार स्वामी को मुख्यमंत्री पद की दावेदारी सौंप दी.
हालाँकि जेडीएस के राज्यपाल से मिलने को लेकर जैसे ही जेडीएस ने समय मांगा राज्यपाल ने मना कर दिया जिसके बाद बीजेपी के पास विधायक नहीं होने के बाद भी वो सरकार बनाने का दावा कर रही है, कर्नाटक में कांग्रेस विधायकों ने और जेडीएस के विधायकों ने बीजेपी पर जो आरोप लगाए है उसके अनुसार देखकर लग रहा है जैसे विधायक नहीं कोई सब्जी भाजी की दुकान से सब्जी खरीद रहे हो.
नैतिकता की बात करने वाली बीजेपी ने सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार विधायकों को 100-100 में खरीदने की कोशिश की वहीं किसी को मंत्री पद का लालच भी दिया गया, हालाँकि बीजेपी में सत्ता को हथियाने के लिए बौखलाहट साफ़ तौर पर देखी जा सकती है.
नियमों और आदर्शों की बात करने वाली बीजेपी चुकी कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है इस लिहाज से उसने यह मान लिया है कि जनता ने उन्हें चुना है इसलिए सत्ता पर पहला हक़ उनका बनता है लेकिन यह बीजेपी उस समय कहाँ थी जब गोवा और मणिपुर की जनता ने बीजेपी को नकार दिया था, हालाँकि राजनीति है सब चलता है, क्या कहे साहब....