बेंगलुरु: कर्नाटक के स्कूलों और शिक्षण संस्थाओं में हिजाब पर प्रतिबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। जी दरअसल सर्वोच्च अदालत में आठवें दौर की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें पेश कीं। जी दरअसल मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को बरकरार रखने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील देते हुए कहा, 'हिजाब गरिमा का प्रतीक है। एक मुस्लिम महिला को एक हिंदू महिला की तरह गरिमापूर्ण दिखती है, जब वह साड़ी के साथ अपना सिर ढंकती है तो वह सम्मानित दिखती है।'
अब भी कोर्ट में सुनवाई जारी है। यहाँ दुष्यंत दवे की दलील पर जजों ने कहा कि, 'यूनिफॉर्म की बात अलग है। इससे सभी एक समान नजर आते हैं। छात्रा चाहे अमीर हो या गरीब, यूनिफॉर्म पहनने पर एक ही कपड़े और लुक में सब नजर आते हैं।' वहीं यहाँ सुनवाई के दौरान सबरीमाला पर दिए गए फैसले का जिक्र भी आया। यहाँ दुष्यंत दवे ने कहा, 'सबरीमाला फैसले और हिजाब मामले में अंतर है। हर कोई सर्वशक्तिमान को अलग-अलग तरीकों से देखता है। जो लोग सबरीमाला जाते हैं वे काले कपड़े पहनते हैं, यही परंपरा है। प्रत्येक व्यक्ति को यथासंभव व्यक्तिगत और व्यक्तिवादी तरीके से धार्मिक स्वतंत्रता का आनंद लेने का अधिकार है।'
इसी के साथ यहाँ प्रतिवादी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कर्नाटक सरकार के उस आदेश को प्रस्तुत किया जिसमें सिफारिश की गई थी कि सभी छात्राएं यूनिफॉर्म में ही स्कूल पहुंचे।
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