बैंगलोर: कर्नाटक के स्कूल के कक्षा 8वीं की एक पाठ्यपुस्तक का हिस्सा वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर बुलबुल पक्षी की पीठ पर बैठकर उड़ जाते थे। इसकी आलोचना करते हुए कई लोगों ने कहा है कि इस प्रकार का गद्य, छात्रों को भ्रमित करेगा। वहीं पुस्तक के रचनाकारों का कहना है कि इस शब्दों जानबूझकर गद्यांश को खूबसूरत बनाने के लिए प्रयोग किया गया है।
इस मुद्दे ने पाठ्यपुस्तकों को संशोधित करने के सरकार के फैसले पर भी चर्चाएं शुरू करवा दी है। इस पुस्तक का संशोधन विवादास्पद रोहित चक्रतीर्थ समिति ने किया था, जो अब भंग हो चुकी है। इस गद्यांश के वायरल होने के बाद यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या बच्चों को ऐसी बातें पढ़ाई जानी चाहिए जिससे वह भ्रमित हो जाएं। गद्यांश कक्षा 8 की कन्नड़ (सेकेंड लैंग्वेज) की पुस्तक का हिस्सा है और इसे वीडी सावरकर नाम के चैप्टर से लिया गया है। किताब का वर्तमान पाठ 'कलावन्नू गेद्दावरु' को कन्नड़ राइटर के टी गट्टी द्वारा लिखा गया है। इसे पिछले पाठ 'ब्लड ग्रुप' के स्थान पर किताब में जोड़ा गया है, जिसे विजयमाला रंगनाथ ने लिखा था।
यह पाठ, वीर सावरकर को छात्रों से परिचित कराता है और जिसके बाद एक यात्रा वृत्तांत का अंश है, जिसमें सावरकर के 1911 से 1924 तक अंडमान की सेलुलर जेल में कैद रहने के वक़्त की बात की गई है। इस गद्यांश में लिखा है कि, 'जिस कोठरी में सावरकर को जेल में रखा गया था, उसमें एक छोटा सा कीहोल भी तक नहीं था। हालांकि, बुलबुल पक्षी कहीं से उस कमरे में आया करते थे, जिसके पंखों पर सावरकर बैठते थे और रोज़ाना मातृभूमि की यात्रा के लिए उड़ जाते थे।'
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