कर्नाटक पुलिस सनसनीखेज मैसूर सामूहिक दुष्कर्म के केस में आरोपी का पॉलीग्राफ टेस्ट करने का विचार कर रही है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक पुलिस ब्रेन-मैपिंग तकनीक, लेयर्ड वॉयस एनालिसिस के उपयोग करने का सोच रही है। जहां इस बात का पता चला है कि ये फैसला इसलिए किया गया है क्योंकि पीड़िता अपना बयान दर्ज कराने और आरोपियों की पहचान करने के लिए अब तक सामने नहीं आई है। अदालत के समक्ष पेश किए जाने वाले मामले में सबूत इकट्ठा करने के लिए पुलिस प्रौद्योगिकी की मदद से वैज्ञानिक विश्लेषण करने का फैसला ले रही है।
पॉलीग्राफ टेस्ट को लोकप्रिय रूप से लाई डिटेक्टर टेस्ट के रूप में कहा जा रहा है, यह एक उपकरण प्रक्रिया है जो कई शारीरिक संकेतकों जैसे रक्तचाप, नाड़ी, श्वसन और त्वचा की चालकता को मापता है और रिकॉर्ड करता है जब एक व्यक्ति से सवाल किए जाते हैं। मिली जानकारी के अनुसार ब्रेन-मैपिंग टेस्ट संदिग्ध के व्यवहार की व्याख्या करने और जांच अधिकारियों के अवलोकन और संदिग्ध के बयानों की पुष्टि करने के लिए कर रहा है।
लेयर्ड वॉयस एनालिसिस भाषण प्रवाह में विभिन्न प्रकार के पैटर्न और विसंगतियों का पता लगाने और तनाव, उत्तेजना आदि के संदर्भ में उन्हें वगीर्कृत करने के लिए एक अद्वितीय गणितीय प्रक्रिया का इस्तेमाल करने जा रही है। पुलिस सूत्रों ने बोला कि पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों ने अपने सेल फोन बंद कर दिए हैं और जांच दल को कोई उत्तर नहीं दे रहे हैं। इस दौरान आरोपियों को मंगलवार को चामुंडी तलहटी के पास ललिताद्रिपुरा के पास अपराध स्थल पर लेकर जाने वाले है। पुलिस ने आरोपियों के चेहरे काले हुड में ढके हुए थे और उनसे सामूहिक दुष्कर्म और घटनाओं के क्रम पर पूछताछ की। सूत्रों ने बोला कि प्रक्रिया की वीडियो ग्राफी की गई।
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