भगवान में आस्था रखने वाले अपनी श्रद्धा के लिए सब कुछ करने को तैयार रहते हैं. कई बार मंदिरों में भी अन्धविश्वास फैला दिया जाता है. लेकिन भगवान में भाव रखने वाले उस पर पूरा यकीन रखते हैं. इसके लिए उन्हें जो भी करना पड़े वो सब करते हैं. कहा भी जाता है भगवान को प्रसन्न रखना है तो ये करना होगा, वो करना होगा वार्ना ईश्वर रुष्ठ हो जायेंगे और श्राप दे देंगे. ऐसे अंध विश्वास चलते हैं. ऐसी ही एक मान्यता है कर्णाटक के एक मंदिर में जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. जानिये उस मान्यता के बारे में.
दरअसल, कर्णाटक के एक ग्रामीण इलाके में एक मंदिर स्थित है जहाँ की मान्यता काफी प्रसिद्द है. यहाँ की प्रथा है मंदिर में ब्राह्मणो को भोज करा जाता है और उस बचे हुए भोज पर जो लोट लगाता है उसके चरम रोग दूर हो जाते हैं. मंदिर में ब्राह्मणों को केले के पत्ते पर भोज कराया जाता है और नीची जाती के लोग इसका अनुसरण भी करते हैं. झूठे भोज पर लोट कर वो अपनी बीमारी को खत्म कर लेते हैं. इसके बाद लोग कुमारधारा नदी में स्नान करते हैं और परम्परा पूरी करते हैं.
लेकिन आपको ये भी बता दें, कुछ समय पहले इस मान्यता पर कोर्ट ने रोक लगा दी है जिससे दूसरे लोगों की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे. लेकिन इसी के साथ वो इस बात पर यकीन रखते थे उनके लिए बड़ी बात है. ऐसा करने से वो अपनी बीमारी को पर अपने परिवार को श्राप से बचाते थे. इतना ही नहीं कई लोग मानते भी है की ऐसा होता है.