कर्नाटक खस्ताहाल, लेकिन सिद्धारमैया का सोशल मीडिया संभाल रहे 30 लोग, प्रतिमाह खर्च 50 लाख

कर्नाटक खस्ताहाल, लेकिन सिद्धारमैया का सोशल मीडिया संभाल रहे 30 लोग, प्रतिमाह खर्च 50 लाख
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बैंगलोर: MUDA घोटाला, वाल्मीकि विभाग घोटाला के कारण आलोचनाओं का सामने कर रहे कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एक और विवाद में घिर गए हैं। एक RTI के माध्यम से खुलासा हुआ है कि उनके आधिकारिक और निजी सोशल मीडिया अकाउंट्स को मैनेज करने में हर महीने करीब 54 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। यह खर्चा पॉलिसी फ्रंट नामक कंपनी को किया जाता है, जो 30 लोगों की टीम के साथ सिद्धारमैया के सोशल मीडिया हैंडल्स का प्रबंधन करती है। इसमें 18% जीएसटी भी शामिल है, जिससे कुल भुगतान लगभग 53.95 लाख रुपये प्रति माह होता है।

इस मुद्दे को तब उठाया गया जब एक RTI कार्यकर्ता ने सरकार की वित्तीय स्थिति पर सवाल उठाते हुए याचिका दायर की। RTI कार्यकर्ता का कहना है कि राज्य की कांग्रेस सरकार विभिन्न विकास कार्यों के लिए फंड की कमी का सामना कर रही है, जिससे ठेकेदारों को भुगतान में कठिनाई हो रही है। जुलाई 2024 में, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने खुद कहा था कि कांग्रेस ने चुनाव के दौरान जो पांच गारंटी दी थीं, उन्हें पूरा करने के लिए 40,000 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं, जिसके कारण विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं है। इसके अलावा, राज्य की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई है कि सरकार ने SC/ST फंड से भी 14,000 करोड़ रुपये निकाल लिए थे, जो पिछड़े और दलित समुदायों के उत्थान के लिए निर्धारित थे। जबकि राहुल गांधी पिछड़ों, दलितों से उनके उत्थान के वादे करते नहीं थकते। इसी साल जब कर्नाटक में भी सूखा पड़ा था, तब भी कांग्रेस सरकार के पास पैसे नहीं थे, केंद्र ने उसे 3500 करोड़ की मदद की थी। अब कर्नाटक सरकार ने एक अमेरिकी फर्म को कमाई बढ़ाने के उपाय बताने के लिए सलाहकार के रूप में रखा है, जिसे वो 9.5 करोड़ का भुगतान कर रही है। 

आर्थिक संकट के कारण सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एकसाथ 3 रूपए बढ़ा दिए हैं। नंदिनी दूध के दाम बढ़ा दिए गए हैं, बिजली की दरें बढ़ चुकी हैं। अब डीके शिवकुमार कह रहे हैं कि वे पानी पर टैक्स बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं, साथ ही बस का किराया बढ़ाने पर भी विचार चल रहा है। बता दें कि ये वही कांग्रेस है, जो दिल्ली में आकर तो केंद्र सरकार को महंगाई पर घेरती है और जहाँ खुद उसका शासन है, वहां कीमतें बढ़ाते जा रही है। बीजेपी ने इस मामले को लेकर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें कहा गया था कि विपक्षी विधायकों को धन की कमी के कारण विकास कार्यों में रुकावट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने राज्यपाल से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था और कल्याण कर्नाटक क्षेत्र विकास बोर्ड (केकेआरडीबी) में भाजपा और जेडीएस विधायकों को शामिल करने की मांग की थी। इस विवाद ने सिद्धारमैया की सरकार को एक बार फिर सवालों के घेरे में ला दिया है, खासकर जब राज्य की आर्थिक स्थिति पहले से ही नाजुक है।

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