मंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय ने कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम और उनकी पत्नी की एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कर चोरी के एक मामले को सांसदों और विधायकों के लिए विशेष अदालत में स्थानांतरित करने को चुनौती दी थी. इस मामले को निचली अदालत से विशेष अदालत में स्थानांतरित किया गया है. हाई कोर्ट ने इसी मामले के संबंध में आयकर विभाग द्वारा दर्ज शिकायत को रद करने के लिए दोनों याचिकाकर्ताओं की एक और याचिका को भी खारिज कर दिया.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यह मामला कार्ति द्वारा 2015 में कथित रूप से 6.38 करोड़ रुपये और उनकी पत्नी श्रीनिधि चिदंबरम द्वारा 1.35 करोड़ रुपये की आमदनी नहीं बताने से संबंधित है. आयकर विभाग के अनुसार, 2019 के चुनाव में शिवगंगा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए कार्ति और उनकी पत्नी को मुत्तुकडू में जमीन की बिक्री के लिए कई साल पहले नगद राशि मिली थी. लेकिन, अपने आयकर रिटर्न मंे उन्होंने इसकी जानकारी नहीं दी.
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इसके अलावा आयकर विभाग, चेन्नई के उप निदेशक ने 12 सितंबर, 2018 को आयकर अधिनियम की धारा 276 ग (1) और 277 के तहत अपराधों के लिए अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट-2 (आíथक अपराध) के समक्ष कार्ति और उनकी पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी. इसके बाद मामला विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया. याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि कथित अपराध के समय वे न तो सांसद थे और न ही विधायक. इस पर न्यायमूर्ति एम सुंदर ने कहा, जैसा कि उच्चतम न्यायालय ने सभी लंबित मामलों को स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है, यह तर्क विफल हो जाता है.
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