हिंदू पंचांग के मुताबिक़ किसी भी महीने की शुरूआत पूर्णिमा तिथी से मानते हैं और इसी तरह भगवान विष्णु का प्रिय माह कार्तिक भी आरंभ होने को है लेकिन कहा जाता है शुद्ध वैष्णवजनों के लिए कार्तिक मास 09 अक्टूबर की पापांकुशा एकादशी से भी आरंभ हो चुका है, जोकि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवप्रबोधिनी एकादशी तक चलेगा. ऐसे में आज हम आपको कार्तिक माह से जुड़ी एक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इस महीने में जरूर सुननी चाहिए. आइए बताते हैं आपको यह कथा.
कथा - किसी नगर में साहूकार था और उसकी एक बहू तारा भोजन करती थी. एक दिन उसने अपनी सास को कहानी सुनने को कहा तो सास ने मना कर दिया और कहा कि मुझे अभी अपनी पूजा करनी है. उसने फिर अपनी जेठानी से कहा कि आप मेरी कहानी सुन लो? उसने भी मना करते हुए कहा कि मुझे तो अभी खाना बनाना है. उसने फिर अपनी देवरानी से कहानी सुनने को कहा तो उसने भी बहाना बना दिया कि ब़च्चो को देखना है. उसने फिर अपनी ननद को कहानी सुनने के लिए कहा तो उसने भी मना कर दिया कि मेरे ससुराल से मेरा बुलावा आ गया है और मुझे जाने की तैयारी करनी है. वह राजा के पास भी गई कि मेरी कहानी आप ही सुन लो तो राजा ने कहा कि मुझे तो व्यापार देखना है, कहानी का समय नहीं है.
उसकी यह मनोदशा देखकर भगवान उसके लिए स्वर्ग से विमान भेजते हैं. स्वर्ग से विमान आया देख उसकी सास भी भागकर जाने के लिए आती है लेकिन बहू मना कर देती है कि आपको तो पूजा करनी है फिर जेठानी आती है तब वह कहती है कि आप कैसे चलोगी? आपको तो खाना बनाना है. देवरानी आती है तो उसको भी वह मना कर देती है कि तुम अपने बच्चो का ख्याल रखो. ननद आती है तो वह कहती है कि तुम्हें तो ससुराल जाने की तैयारी करनी है सो तुम वह करो. राजा जी आते हैं कि मैं चलता हूं तुम्हारे साथ लेकिन बहू कहती है कि तुम्हें तो कारोबार संभालना है तो उसे संभालो.
आखिर में पड़ोसन आती है और कहती है कि बहन मैं तुम्हारे साथ चलूं? तब बहू कहती है हां! तुम मेरे साथ चलो क्योंकि एक तुम ही तो हो जिसने कार्तिक के पूरे माह मेरी कहानी सुनी है. दोनों विमान में बैठकर स्वर्ग जाने लगते हैं तभी रास्ते में ही बहू को अभिमान हो जाता है कि मैने कार्तिक के पूरे माह व्रत किया और कहानी कही इसलिए मुझे स्वर्ग का वास मिल रहा है लेकिन मेरी पड़ोसन ने तो कहानी केवल सुनी है, व्रत नहीं किया फिर भी मेरी वजह से इसे भी स्वर्ग का वास मिल रहा है. बहू यह विचार मन में सोचते जा रही थी कि अचानक भगवान ने वहीं से उसे विमान से नीचे फेंक दिया. उसने पूछा कि भगवान मेरा अपराध तो बता दीजिए कि आपने ऎसा क्यूँ किया? भगवान बोले कि तुझे अभिमान हो गया है इसलिए तू यही धरती पर रह, अब तू आने वाले तीन साल तक तारा भोजन व्रत करेगी तभी तुझे स्वर्ग की प्राप्ति होगी.
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