कार्तिक पूर्णिमा पर जरूर पढ़े यह 2 श्लोक, होगा महालाभ

कार्तिक पूर्णिमा पर जरूर पढ़े यह 2 श्लोक, होगा महालाभ
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दुनियाभर के प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में कार्तिक मास में व्रत और तप का विशेष महत्व माना जाता है. वहीं इस महीने में व्रत और तप करने से जातक के सभी पापों का नाश हो जाता है. वहीं पुराणों की मानें तो जो मनुष्य कार्तिक महीने में व्रत व तप करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. इसी के साथ ही समस्त पापों से मुक्ति दिलाने में भी कार्तिक मास बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. आप सभी को बता दें कि इस महीने में निम्न श्र्लोक पढ़ने का विशेष महत्व बताया गया है. वहीं अगर आप पूरे कार्तिक मास में ये श्लोक नहीं पढ़ पाए तो आप इन्हे बैकुंठ चतुर्दशी और कार्तिक पूर्णिमा के दिन भी पढ़ सकते हैं क्योंकि इससे आपको अपने समस्त पापों से छुटकारा मिल जाएगा. तो अब आइए जानते हैं वो श्लोक.

1. मासानां कार्तिक: श्रेष्ठो देवानां मधुसूदन।
तीर्थं नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।।

अर्थात- स्कंद पुराण में लिखे इस श्लोक के अनुसार, भगवान विष्णु एवं विष्णु तीर्थ के समान ही कार्तिक मास भी श्रेष्ठ और दुर्लभ है.

2. न कार्तिकसमो मासो न कृतेन समं युगम्।
न वेदसदृशं शास्त्रं न तीर्थं गंगा समम्।।

अर्थात- कार्तिक के समान दूसरा कोई मास नहीं, सत्ययुग के समान कोई युग नही, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगा जी के समान कोई तीर्थ नहीं है.

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