होली का त्यौहार आने में ही है इसके लिए हर कोई उत्सुक होगा. होली मामने के कई तरीके होते हैं जिन्हें जानकर आप हैरान रह जायेंगे. ऐसे में ही होली मनाने का एक तरीका ऐसा भी था जिसे सुन शायद विश्वास करना मुश्किल हों. सीए जानकर आप हैरान रह जायेंगे और सोचेंगे कि ऐसा कहाँ पर होता है. आपको बता दें, इस अनोख होली में रंगों से होली कोई नहीं खेलता. जी हाँ, इस अनोखी होली ने रख उड़ाई जाती है. आइये जानते हैं इसके बारे में.
दरअसल, बाबा काशी विश्वनाथ में ये परंपरा बहुत ही पुरानी है जिसमें होली में राख से होली खेली जाती है. रंग के बजाया चिता के भस्म हवा में उड़ते हैं और लोग उस भस्म में सराबोर होकर डूबते हैं. यहां पर रंग, अबीर और गुलाल के बजाय चिता के भस्म से होली खेली जाती है. हम बात कर रहे हैं बाबा काशी विश्वनाथ की. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस दिन लोग मणिकर्णिका घाट पर चिताओं के भस्म से होली खेलते है. भेदभाव, छुआ-छूत, पवित्र-अपवित्र से परे होकर लोग एक दूसरे पर भस्म को बड़े ही प्रेम से फेकते हैं और हवा में सिर्फ भस्म ही उड़ता है. ये एक ऐसा नजारा होता है जिसे देखकर शायद कोई भी वास्तविक जीवन से दूर होकर महादेव के इस मणिकर्णिका घाट पर खो जाये.
आपको बता दें, ऐसी मान्यता है कि, बाबा काशी विश्वनाथ ने अपना गौना कराने के बाद दूसरे दिन यहां के महाश्मशान में अपने गणों के साथ होली खेली थी. इसी मान्यता के अनुसार काशी में हर साल महाश्मशान में होली खेलने की परंपरा निभाई जाती है. आपको बता दें कि, मणिकर्णिका घाट को महाश्मशान कहा जाता है. पूरी दुनिया में यही एक ऐसा श्मशान घाट है जहां पर अनादि काल से चिताएं जल रही है और आज तक ये घाट कभी भी बिना चिता के नहीं रहा है. तभी से ये होली की परंपरा निभाई जा रही है जिसे लोग बहुत ही धूम धाम से मनाते हैं.
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