जम्मू: बीते कुछ दिनों में घाटी में अब आतंकी हमलों में बड़ी मात्रा में कमी देखी गई है. स्वाधीनता के नाम पर लोगों को भड़काने वाले अलगाववादी नेता भी अब अपनी नई राह खोजने में जुट गए हैं. युवा अपने आप को कश्मीर के नए भविष्य से जोड़ रहे हैं. वही बीते एक वर्ष में सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर में आतंक पर खतरनाक वॉर किया है. 5 अगस्त के पश्चात् बीते एक वर्ष में विभिन्न तंजीमों के सरगनाओं सहित 180 से अधिक दहशतगर्द मार दिए गए. घाटी में पाकिस्तान प्रायोजित दहशत की कमर करीब टूट गई है.
साथ ही पिछले एक साल के चलते आतंकी हमलो में बहुत कमी आई है. 5 अगस्त, 2019 के पश्चात् मारे गए दहशतगर्दो में कई बड़े सरगना भी सम्मिलित हैं. पुलवामा शहर में एक मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के कुख्यात आतंकी रियाज नायकू को ढेर करना सुरक्षा बलों की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. तत्पश्चात, नायकू के करीबी और अलगाववादी अशरफ सेहरई के पुत्र जुनैद सेहरई सहित हिजबुल के अन्य कई बड़े दहशतगर्द उमर फय्याज उर्फ हमाद खान, जहांगीर, वसीम अहमद वानी एवं मसूद भट भी ढेर कर दिए गए.
वही इस बीच 25 दहशतगर्दों एवं 300 से ज्यादा सहायको को हिरासत में ले लिया गया है. साथ ही अनुच्छेद 370 हटने के पश्चात् घाटी में आतंकी हमलों में बड़ी कमी ही नहीं आई है, किन्तु कानून-व्यवस्था की परिस्थितियों में भी बहुत हद तक सुधार हुआ है. हाल ही में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने केंद्रीय गृहमंत्रालय को इस आशय की एक रिपोर्ट भेजी है. सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में लिखा है कि 8 जुलाई, 2016 को हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के पश्चात् छह माह में लगभग 2500 हिंसक वारदातें हुई थीं, तथा इनमें 117 नागरिक मारे गए. वहीं 5 अगस्त, 2019 को प्रदेश का खास दर्जा वापस लेने के पश्चात् 196 हिंसक वारदातें अवश्य हुई, किन्तु इनमें एक भी मृत्यु नहीं हुई. इसी के साथ नए जम्मू कश्मीर बेहद बदलाव हुए है.
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