'कश्मीर ने विकास-शांति और समृद्धि की जगह मजहब को चुना..', नतीजों पर बोले दलित नेता

'कश्मीर ने विकास-शांति और समृद्धि की जगह मजहब को चुना..', नतीजों पर बोले दलित नेता
Share:

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के परिणाम सामने आने के बाद, दलित नेता और लेखक दिलीप मंडल ने चुनावी नतीजों पर एक अहम ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी के लोगों ने विकास, शांति, और समृद्धि से अधिक मज़हब को चुना है, जो उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। हालाँकि, उन्होंने कश्मीर को भारत का मुकुट मानते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि चुनाव परिणाम से ज्यादा अहम है कि भारत और उसके संविधान की जीत हुई है। उनकी कामना है कि एक दिन कश्मीर में भी लोग मज़हब से उठकर विकास को प्राथमिकता देते हुए वोट करेंगे।

 

मंडल ने अपने ट्वीट में डॉ. राम मनोहर लोहिया के हैदराबाद में दिए गए एक ऐतिहासिक भाषण का भी हवाला दिया, जिसमें लोहिया ने कहा था कि मुसलमानों को एकमुश्त वोटिंग की प्रवृत्ति से बचना चाहिए, क्योंकि इसका परिणाम हिंदू एकता के रूप में हो सकता है, जो समाज और राजनीति के लिए अच्छा नहीं है। मंडल ने एक धर्म या मज़हब के आधार पर सामूहिक रूप से मतदान करने की प्रवृत्ति को गलत ठहराते हुए इसे गिरोहबंदी की तरह बताया, जो लोकतंत्र के लिए सही नहीं है।

इस चुनाव में फारूक अब्दुल्ला की पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC), ने 42 सीटें जीतकर कांग्रेस के साथ सरकार बनाने की तैयारी कर ली है। हालाँकि, NC का चुनावी घोषणापत्र विवादास्पद था, जिसमें उन्होंने अनुच्छेद 370 और 35A को वापस लागू करने का वादा किया था। इन अनुच्छेदों के तहत जम्मू-कश्मीर के दलितों को मतदान का अधिकार नहीं था, और उनके लिए केवल सफाईकर्मी की नौकरी का प्रावधान था। मोदी सरकार द्वारा इन अनुच्छेदों को हटाए जाने के बाद, पहली बार राज्य के दलितों ने वोट डाले और सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन किया।

NC ने अपने घोषणापत्र में यह भी वादा किया था कि वे आतंकवाद के आरोपों में जेल में बंद लोगों को मदद मुहैया कराएंगे और पाकिस्तान से बातचीत शुरू करेंगे। इन वादों को लेकर कश्मीर की मुस्लिम जनता ने जमकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के पक्ष में वोट किया। जबकि अनुच्छेद 370 हटने के बाद से कश्मीर में शांति, विकास और रोजगार के कई सकारात्मक बदलाव आए थे। इस दौरान रेलवे लाइनों, सड़कों, और पुलों का निर्माण हुआ, G-20 का आयोजन हुआ, और रिकॉर्ड संख्या में पर्यटक आने लगे, जिससे स्थानीय लोगों की आय में भी बढ़ोतरी हुई।

इतिहास में पहली बार कश्मीर में इतने शांतिपूर्ण चुनाव हुए, बिना किसी आतंकी हमले या चुनावी बहिष्कार के, और रिकॉर्ड मतदान दर्ज किया गया। लेकिन, कश्मीर की जनता ने विकास, शांति और समृद्धि की बजाय नेशनल कॉन्फ्रेंस के मज़हब आधारित वादों को चुना, जो आतंकवादियों के प्रति नरमी, पाकिस्तान से करीबी और अनुच्छेद 370 की बहाली पर केंद्रित थे। नेशनल कांफ्रेंस (NC) पहले भी जम्मू कश्मीर में शासन कर चुकी है और जनता ने उसका शासन देखा है, कश्मीर में किस तरह, आतंकवाद, अराजकता, पत्थरबाज़ी, बेरोज़गारी फैली हुई थी। लेकिन शायद कश्मीर की मुस्लिम अवाम को विकास, शांति और प्रगति की जगह अराजकता ही चाहिए। इसी बात को लेकर दलित नेता और लेखक दिलीप मंडल ने तंज कसा है। दिलीप मंडल ने अपने ट्वीट में इसी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कश्मीर की मुस्लिम जनता ने अराजकता को विकास, शांति और प्रगति से ऊपर चुना है।

माँ और नाना रहे सीएम..! लेकिन अपना पहला चुनाव हार गईं इल्तिजा मुफ़्ती

भाजपा के पिछड़ने पर क्यों डगमगाता है शेयर बाजार? चुनावी नतीजे देख 600 अंक उछला

'अति आत्मविश्वास हानिकारक..', कांग्रेस के जख्मों पर केजरीवाल ने रगड़ा नमक

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -