अब देश के अन्य राज्यों की तरह नए जम्मू कश्मीर में भी प्रशासनिक भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लोकायुक्त होगा. लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम को जम्मू कश्मीर में लागू करने की संभावना तलाशने के लिए उपराज्यपाल जीसी मुर्मू के निर्देश पर पांच सदस्यीय समिति गठित कर दी गई है. समिति 13 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट देगी. समिति सतर्कता आयोग और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के कामकाज और गतिविधियों का भी जायजा लेगी.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उपराज्यपाल के निर्देशानुसार, महा प्रशासनिक विभाग ने समिति के गठन की अधिसूचना जारी की है. इसके मुताबिक समिति की अध्यक्षता कानून, न्याय एवं संसदीय मामलों के सचिव करेंगे. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के निदेशक, महाप्रशासनिक विभाग के अतिरिक्त सचिव के अलावा कानून, न्याय और संसदीय मामलों विभाग के दो अधिकारी जो समिति अध्यक्ष द्वारा चुने जाएंगे, इसके सदस्य होंगे. समिति भारतीय दंड संहिता के तहत केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में नौकरशाह, जनसेवक, सरकारी अधिकारी की परिभाषा से जुड़े मामलों का अध्ययन करेगी.
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अगर आपको नही पता तो बता दे कि केंद्र शासित प्रदेशों में लोकायुक्त लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम को एक जनवरी 2014 को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी थी. अधिनियम के तहत भारतीय गणराज्य के लिए लोकपाल, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति होती है। लोकपाल और लोकायुक्त सरकारी अधिकारियों, कर्मियों के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच में समर्थ हैं.अलबत्ता, यह कानून जम्मू कश्मीर में लागू नहीं हो पाया था, क्योंकि पांच अगस्त 2019 से पूर्व अनुच्छेद 370 लागू था. इसके अलावा पुराने जम्मू कश्मीर, जो अब दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित हो चुका है, में निर्वाचित प्रतिनिधियों पर कार्रवाई के लिए एहतिसाब आयोग और सरकारी अधिकारियों व कर्मियों से जु़ड़े भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए सतर्कता आयोग था.
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